निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर तिखिए-
समय परिवर्तनशील है। जो आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साध होगा और हम अपने दुःख और असफलता से मुक्ति पा
लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम दूसरे की सम्पन्नता, ऊंचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता
देखकर विचलित हो जाते हैं कि यह उसके पास तो है किन्तु हमारे पास नहीं है। यह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है और
यही बात अन्दर विकर असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं। सहज भाव लाने के लिए हमें एक
तो नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन
और विचारों के विकार बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की बात है कि
हमारे विकार ही अन्दर बैठकर है। ईष्या -द्वेष और परनिंदा जैसे दुर्गुण हम अनजाने में ही अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर
पल असहज होते हैं और उससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
1 अधिकतर लोग हमेशा ही असफल क्यों होते हैं?
ii. असहजता से बचने का क्या उपाय है?
if कौन से विचार हमें सहजता प्रदान कर सकते हैं?
iv. विचारों की गरीबी से लेखक का क्या अभिप्राय है?
v.हम सहजता का विकास कैसे कर सकते हैं?
vi. उपरोक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।
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this question is too long
Explanation:
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर तिखिए-
समय परिवर्तनशील है। जो आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साध होगा और हम अपने दुःख और असफलता से मुक्ति पा
लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम दूसरे की सम्पन्नता, ऊंचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता
देखकर विचलित हो जाते हैं कि यह उसके पास तो है किन्तु हमारे पास नहीं है। यह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है और
यही बात अन्दर विकर असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं। सहज भाव लाने के लिए हमें एक
तो नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन
और विचारों के विकार बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की बात है कि
हमारे विकार ही अन्दर बैठकर है। ईष्या -द्वेष और परनिंदा जैसे दुर्गुण हम अनजाने में ही अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर
पल असहज होते हैं और उससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
1 अधिकतर लोग हमेशा ही असफल क्यों होते हैं?
ii. असहजता से बचने का क्या उपाय है?
if कौन से विचार हमें सहजता प्रदान कर सकते हैं?
iv. विचारों की गरीबी से लेखक का क्या अभिप्राय है?
v.हम सहजता का विकास कैसे कर सकते हैं?
vi. उपरोक्त गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।