निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नो के
उत्तर दें।
एवरेस्ट शंकु की चोटी पर इतनी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति साथ -
साथ खड़े हो सकें ।चारों तरफ हज़ारों मीटर लंबी ढलान को देखते
हुए हमारे सामने सुरक्षा का प्रश्न था । हमने पहले बर्फ के फावड़े से
बर्फ की खुदाई कर अपने आपको सुरक्षित रूप से स्थिर किया ।
इसके बाद मैं अपने घुटनों के बल बैठी,बर्फ पर अपने सिर को
लगाकर मैंने सागरमाथे के ताज का चुंबन लिया । बिना उठे ही मैंने
अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालिसा निकाला । मैंने
इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा छोटी सी पूजा - अर्चना
की और उनको बर्फ में दबा दिया । आनंद के इस क्षण में मुझे अपने
माता-पिता का ध्यान आया ।
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जब बचेंद्री पाल हिमालय की चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंच गई तो उसने घुटने के बल बैठकर बर्फ को माथे से छुआ। बिना सर नीचे झुकाए हुए ही अपने थैले से दुर्गा मां का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। उसने इन्हें एक लाल कपड़े में लपेटा थोड़ी सी पूजा की फिर चित्र तथा हनुमान चालीसा को बर्फ में दबा दिया।उस समय उसे बहुत आनंद मिला उससे प्रसन्नता पूर्वक अपने माता-पिता को याद किया।
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