Hindi, asked by daiyakishu, 20 days ago

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए

भारतीय साहित्य की एकता पर जोर देने की आवश्यकता इसलिए भी है कि आज संसार के समक्ष भविष्य की स्थिति बहुत कुछ डांवाडोल हो गई है। विघटनकारी शक्तियाँ इतनी बलवती हो गई है कि यह समझ ही नहीं पड़ता कि नया विकास और नया संगठन किस प्रकर होगा। नयी सभ्यता के इस सक्रांति काल में भारतवर्ष अपना संतुलन खो दे, यह उचित नहीं। इसके विपरीत यह अधिक आवश्यक है कि वह अपने साहित्य, अपनी कला और अपने जीवन दर्शन द्वारा संसार को एक नया आलोक अथवा एक नवीन दिशा ज्ञान देने की चेष्टा करें। संसार के बड़े बड़े विचारक भी आज प्रकाश के लिए इधर उधर टोह ले रहे हैं। उनमें कुछ की यह धारणा है कि भारतीय साहित्य और भारतीय जीवन दर्शन उन्हें एक नया मार्ग निर्देश दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में नयी प्रगति को दौड़कर अपनाने की अपेक्षा अपने साहित्य वैभव की और दृष्टिपात करना अधिक अच्छा होगा। यदि हम अपने देश के प्राचीन साहित्य को देखें, तो उसमें एक मूलभूत एकता दिखाई देगी। इसका एक बड़ा प्रमाण यह है कि हमारे कतिपय महान साहित्यकारों के जन्म स्थान का पता नहीं होने पर भी समस्त प्रांतों में उनका प्रचलन है और उन्हें समान सम्मान प्राप्त है।

(क) किस प्रकार की शक्तियां बलवती हो गई हैं ?

(ख) साहित्य किसके माध्यम से नवीन दिशा देने की चेष्टा करें ।

(ग) मूलभूत एकता कहाँ दिखाई देती है।​

Answers

Answered by pkanwar07011985
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Answer:

विघटनकारी शक्तियों इतनी बलवती हो गई है कि यह समझ ही नहीं पड़ता कि नया विकास और नया संगठन किस प्रकार होगा। प्रशन 1 का उत्तर।

Answered by yadavrajendra7867
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Answer:

(क) विघटनकारी शक्तियां बलवती हो गई है.

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