Hindi, asked by sin48618, 3 months ago

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए बहुत से मनुष्य है सोच सोच कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी देव हमारे विपरीत है परंतु अपनी सफलता को अपने हाथों पीछे धकेल देते हैं उनका मस्त एक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय कहां यदि हमारा मन संका और निराशा से भर जाए तोसफलता और विजय कहां यदि हमारा मन संका और हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक होगा क्योंकि सफलता की विजय उन्नति करता ही है इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में दीजिए ​

Answers

Answered by bhatiamona
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गद्यांश का अर्थ :

जीवन में मनुष्य कई बार अपनी असफलता का दोष अपनी किस्मत को दे देता है | मुशी मेहनत नहीं करता और सफलता की उम्मीद करता है | मन ही मन में सोच लेता है कि भगवान हमें सफलता देंगे और मेहनत करा छोड़ देते है | जब वह बिना मेहनत करके असफलता प्राप्त करता है , तब वह निराश हो जाता है | वह मन में बैठा लेता कि उसे बिना मेहनत के सफलता मिल जाएगी | अपने आप को पीछे धकेलता है | वह मेहनत न करके सफलता की उम्मीद करता है |

मनुष्य को सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा मेहनत करनी चाहिए , अपने भाग्य पर निर्भर नहीं रहना चाहिए |

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