Hindi, asked by durgakumari786125, 9 months ago

निम्नलिखित गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखकर उपयुक्त शीर्षक दीजिए :
किसी से कुछ पाने की इच्छा रखना ही मनुष्य
के
दुख का कारण है । जब तक पाने
की इच्छा मनुष्य में विद्यमान है, तब तक उसे सच्चे सुख की प्राप्ति होना असंभव है । वस्तुतः
सच्चा सुख किसी से कुछ पाने में नहीं, वरन कुछ देने में है। जिस प्रकार अंगूर की सार्थकता
अपने तमाम रस को निचोड़कर दूसरों के लिए रस देने में है, उसी प्रकार मनुष्य जीवन की
सार्थकता अपनी संपूर्ण क्षमताओं योग्यताओं को दूसरों के लिए अर्पित कर देने में है ।​

Answers

Answered by geniusgangster
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Explanation:

जैसे इस गद्यांश में कहा गया है कि हमें जिस चीज को यह हमें चाहिए उसे हमें अच्छा इसे पाना चाहिए अगर हम किसी भी छिपाने की सोच रखते हैं तो हमें वह पाते पाते हमारी जिंदगी निकल जाएगी लेकिन हम उसे पाने पाएंगे क्योंकि हम चाह रहे कि हम इसे पाएंगे तब फिर हम रुक जाएंगे लेकिन हम चार है कि हम अपने लक्ष्य रुक्का हम अपना संतोष जब तक संतोष रूपी धन नहीं पाएंगे तब तक यह हमारे जीवन में चलते रखी और पाए और इस गद्यांश का मतलब है या शक है कि हमें हमेशा किसी चीज की पाने की लालसा ने किसी चीज को करनी चाहिए

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