निम्नलिखित गद्यांश का सार लगभग एक तिहाई शब्दों में लिखिए :
विगत एक-दो दशकों में युवावर्ग में अपव्यय की प्रवृत्ति बढ़ रही है। भोगवाद की ओर युवक अधिक
प्रवृत्त हो रहे हैं। वे सुख-सुविधा की प्रत्येक वस्तु पा लेना चाहते हैं और अपनी आय और व्यय में तालमेल
बिठाने को उन्हें चिंता नहीं है। धन संग्रह न सही, कठिन समय के लिए कुछ बचाकर रखना भी वे नहीं चाहते।
उन्हें लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से उत्पादक-व्यवसायी भरमाते हैं। परिणामस्वरूप आज का युवक मात्र
उपभोक्ता बनकर रह गया है। अनेक कंपनियाँ और बैंक क्रेडिट कार्ड देकर उनकी खरीद शक्ति को बढ़ाने का
दावा करते हैं और बाद में निर्ममता से वसूलते हैं। आज का युग भौतिक सुख भोगने के लिए अनेक प्रकार के
प्रलोभन दे रहा है। युवा-वर्ग इनमें उलझता चला जा रहा है। आजकल मोबाइल फोन का प्रयोग भी एक फैशन
बनता चला जा रहा है। इन सब वस्तुओं ने हमारे मन में अशांति के बीज बो दिए हैं।
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निम्नलिखित गद्यांश का सार लगभग एक तिहाई शब्दों में लिखिए :
विगत एक-दो दशकों में युवावर्ग में अपव्यय की प्रवृत्ति बढ़ रही है। भोगवाद की ओर युवक अधिक
प्रवृत्त हो रहे हैं। वे सुख-सुविधा की प्रत्येक वस्तु पा लेना चाहते हैं और अपनी आय और व्यय में तालमेल
बिठाने को उन्हें चिंता नहीं है। धन संग्रह न सही, कठिन समय के लिए कुछ बचाकर रखना भी वे नहीं चाहते।
उन्हें लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से उत्पादक-व्यवसायी भरमाते हैं। परिणामस्वरूप आज का युवक मात्र
उपभोक्ता बनकर रह गया है। अनेक कंपनियाँ और बैंक क्रेडिट कार्ड देकर उनकी खरीद शक्ति को बढ़ाने का
दावा करते हैं और बाद में निर्ममता से वसूलते हैं। आज का युग भौतिक सुख भोगने के लिए अनेक प्रकार के
प्रलोभन दे रहा है। युवा-वर्ग इनमें उलझता चला जा रहा है। आजकल मोबाइल फोन का प्रयोग भी एक फैशन
बनता चला जा रहा है। इन सब वस्तुओं ने हमारे मन में अशांति के बीज बो दिए हैं।
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