निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
मोहन उनका चहेता शिष्य था। पुरोहित खानदान का कुशाग्र बुद्धि का बालक
में ही नहीं गायन में भी बेजोड़। त्रिलोक सिंह मास्टर ने उसे पूरे स्कूल का में
बना रखा था। वही सुबह-सुबह हे प्रभो आनंद दाता! ज्ञान हमको दीजिए
पहला स्वर उठाकर प्रार्थना शुरू करता था।"
अथवा
115IM-2901-E
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