निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए !
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था !वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या , स्वर्ग में भी लक्ष्मी जी का राज्य है उनका यह कहना यथार्थ ही था न्याय और नीती सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं इन्हें वह जैसी चाहती है नचाती है
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निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए !
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था !वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या , स्वर्ग में भी लक्ष्मी जी का राज्य है उनका यह कहना यथार्थ ही था न्याय और नीती सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं इन्हें वह जैसी चाहती है नचाती है।
संदर्भ : ये गद्यांश मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित 'नमक का दरोगा' नामक कहानी से लिया गया है। इस गद्यांश में कहानी के एक प्रमुख पात्र पंडित अलोपदीन के स्वभाव और सोच के बारे में बताया गया है।
व्याख्या : पंडित अलोपदीन को लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था। वो लक्ष्मी के उपासक थे। उन्हें लक्ष्मी यानी अपने धन पर अटूट विश्वास था। वो सही या गलत सभी तरीकों से खूब धन कमाते थे। उनका भी विचार था कि अपने धन के बल पर कोई भी कार्य करा सकते हैं। वे धन के बल पर न्याय को अपने पक्ष में कर सकते हैं। धन की रिश्वत देकर कोई भी गलत कार्य को सही कर सकते हैं। इसीलिए उनका लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था। उनके अनुसार सभी लक्ष्मी के खिलौने हैं और लक्ष्मी के आगे नाचते है