Hindi, asked by koshleambu5922, 10 months ago

निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
[1+1+2+1=5]

"सूरज डूबने लगा और धीरे-धीरे ग्लेशियरों में पिघली केसर बहने लगी। बरफ कमल के लाल फूलों
में बदलने लगी, घाटियाँ गहरी पीली हो गईं। अँधेरा होने लगा तो हम उठे और मुँह-हाथ धोने और
चाय पीने लगे। पर सब चुपचाप थे, गुमसुम, जैसे सबका कुछ छिन गया हो, या शायद सबको कुछ
ऐसा मिल गया हो, जिसे अंदर ही अंदर सहेजने में सब आत्मलीन हों या अपने में डूब गए हों।"​

Answers

Answered by bhatiamona
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निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या इस प्रकार है:

सप्रसंग 'यह गद्यांश ठेले पर हिमालय' धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया है | 'ठेले पर हिमालय' का शीर्षक यात्रा-विवरण से लिया गया है| भारती जी ने अपनी नैनीताल से कौसानी की यात्रा और यात्रा में बिताए  हुए दिनों और अनुभवों वर्णन किया है | भारती जी कहती हम लोग सिर्फ बर्फ को बहुत निकट से देखने के लिए ही कौसानी गये थे।  

व्याख्या: लेखक कहता है कि जब सूर्य अस्त होने लगता है तब ग्लेशियर से पिघली केसर प्रवाहित होने लगी| बर्फ़ कमल के लाल फूलों में बदलने-सी प्रतीत होने लगी और घाटियाँ पिली दिखाई दे रही थी| अंधेरा हो गया था| मैं उठा और हाथ-मुंह धो कर चाय पीने लगे | वहाँ का वातावरण उस समय बहुत शांत था | ऐसा लग रहा था जैसे जीवन में सब कुछ प्राप्त हो गया हो और सब कुछ छीन भी गया हो, जैसे-जैसे  सभी अंदर-अंदर तल्लीन होने लगे तब सब आत्मनिर्भर हो गए | यह दृश्य अत्यन्त मनमोहक और यादगार था|

Answered by kamleshsoni5230
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"लाजो उसे ढाँढस बँधाती और जितना सम्भव होता उसकी सहायता करती । सुमित्रा को

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