निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसग व्याख्या
"तारक रचित नील अंबर और समुद्र के अवका
था। अंधकार से मिलकर पवन दुष्ट हो रहा था। सम
लहरों में विकल थी।"
प्रश्र 5. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्यार
"बसो मेरे नैनन में नंदलाल,
मोहनी मूरति, साँवरी सूरति, नैणा बने बिसाल
अधर सुधारस मुरली राजति उर वैजन्ती माल
छुद्रघंटिका कटितट सोभित नुपूर सबद रसाल
पीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त बछल गोप
श्र6
6. 'हिन्दी भाषा का मानकीकरण'
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