९) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़ कर प्रश्नो की उत्तर दीजिए
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मी जी पर अखंड विश्वास था । वह कहा करते थे किसंसार का तो कहना
ही क्या स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज है । उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब
लक्ष्मी के ही खिलौने है , इन्हे वह जैसे चाहती है नचाती हैं। लेटें ही लेटें गर्व से बोले-चलो, हम
आते हैं। यह कहकर पंडित जी ने बड़ी निश्चिंतता से पान के बीड़े लगाकर खाए। फिर लिहाफ ओढ़े
हुए दारोगा के पास आकर बोले -बाबूजी , आशीर्वाद । कहिए , हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हुआ
की गाड़ियों को रोक दी गई । हम ब्राह्मणो पर तो आपकी कृपा दृष्टि बनी रहनी चाहिए।
क) लक्ष्मी जी के बारे में पंडित जी के क्या विचार थे ?
ख) गाड़ी पकडे जाने की सुचना मिलने पर अलोपोदीन की क्या प्रतिक्रिया थी
ग) पंडित अलोपीदीन दारोगा के पास क्यों गए थे और उन्होंने उससे क्या कहा ?
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chapter-1 (Namak ka daroga)
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Answers
(क) लक्ष्मी जी के बारे में पंडित जी के क्या विचार थे ?
➲ लक्ष्मी के बारे में पंडित अलोपीदीन की राय यह थी कि सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। न्याय और नीत हो या अन्य कोई, सब लक्ष्मी के खिलौने हैं। इन्हें वह जैसा चाहती हैं नचाती हैं उन्हें लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था और उनके अनुसार संसार ही नहीं स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज है।
(ख) गाड़ी पकडे जाने की सुचना मिलने पर अलोपोदीन की क्या प्रतिक्रिया थी ?
➲ गाड़ी पकड़े जाने की सूचना मिलने पर अलोपदीन ने कोई त्वरित प्रक्रिया नही दी। उन्होंने बड़े निश्चिंत भाव से पान के बीड़े लगाकर खाए और आराम से निश्चिंत होकर लिहाफ ओढे हुए दरोगा के पास जाकर बोले। बाबूजी आशीर्वाद चाहिए हमने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया जो आपने हमारी गाड़ी रोक दी।
(ग) पंडित अलोपीदीन दारोगा के पास क्यों गए थे और उन्होंने उससे क्या कहा ?
➲ पंडित अलाउद्दीन दरोगा के पास अपनी भूल का प्रायश्चित करने गए थे। क्योंकि उन्होंने अपने धन के बल पर अदालत में अपने पक्ष में निर्णय करवा लिया था और दरोगा बंशीधर को अपमानित होना पड़ा था। इस बात का उन्हें अफसोस हुआ उन्हें मालूम था कि गलती उनकी ही है इसी कारण वह दुर्गा से क्षमा याचना करने और प्रायश्चित करने के लिए दरोगा के पास गए।
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