निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (5) विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं, इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है । यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है । यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुंदर बनता है । यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है । जिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है । इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है । सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है, उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुंदर पाठशाला है । यहाँ पर अपने साथियों के बीच रहकर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी कि विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती है । i) जीवन की आधारशिला किस काल को कहा जाता है ? ii) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए । iii) मानव जीवन के लिए विद्यार्थी जीवन की महत्ता स्पष्ट कीजिए । iv) छोटे वृक्ष के पोषण का उल्लेख किस संदर्भ में किया गया है और क्यों ? v) विद्यार्थी जीवन की तुलना पाठशाला से क्यों की गई है ?
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1) जीवन की आधारशिला विद्यार्थी काल को कहा जाता है
2)विद्यार्थी काल
3)विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है । सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है, उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुंदर पाठशाला है ।
4)छोटे वृक्ष के पोषण का उल्लेख विद्यार्थी के उल्लेख में किया गया है क्योंकि जिस प्रकार जिस प्रकार वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिलने पर संसार को पुष्पित एवम पल्लवित्त होकर संसार को सौरभ देता है उसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है ।
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