निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर में सही उत्तर जाँटकर लिखिए।
आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति पा चुके हैं। राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास है -भी
अखंडता और सांस्कृतिक एकता परन्तु अभी तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं जिसमें एक स्वतं
दूसरे राष्ट्री के निकट अपना परिचय देता है। जहाँ तक बहुभाषी होने का प्रश्न है ऐसे देशों की संख्या कम
जिनके भिन्न भागों में भिन्न भाषा की स्थिति है। पर उनकी अविच्छन्न स्वतंत्रता की परंपरा ने उन्हें विष
से एक राग रच लेने की क्षमता दे दी है। हमारे देश की कथा कुछ दूसरी है। हमारी परतंत्रता आँधी तूफान
नहीं आई जिसका आकस्मिक संपर्क तीव्र अनुभूति से अस्तित्व को कंपित कर देता है। वह तो रोग के कीटा
वाले मंद समीर के समान सॉस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमने अपने सम्पूर्ण अस्तित्व से उसके
दुर्वह नहीं अनुभव किया और हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गायकी की कोई भी विजेता विनि
राजनितिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता क्योकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पू
स्थायी। घटनाएँ संस्कारों में चिरजीवन पाती है और संस्कार के अक्षय वाहक शिक्षा, साहित्य कला आ
दीर्घकाल से विदेशी भाषा हमारे विचार विनिमय और शिक्षा का माध्यम ही नहीं रही वह हमारे विद्वान और
होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है। ऐसी स्थिति में यदि हममें से अनेक उसके अभाव में तो चिकित्सा संम
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होती। राष्ट्र जीवन की पूर्णता के लिए उसके मनोजगत को मुक्त करना होगा और यह कार्य विशेष प्रयत्न म
क्योंकि शरीर को बांधने वाली श्रृंखला को जकड़ने वाली श्रृंखला अधिक दृढ़ होती हैं।
1.स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात् भी राष्ट्रभाषा के रूप में हम अब तक ठीक प्रकार के क्या प्राप्त नहीं कर पाए
2. हमारे यहाँ परतंत्रता कैसे आई?
3. शिक्षा, कला, साहित्य आदि किसके वाहक हैं ?
4. हम किसके अभाव में जीवित रहने की कल्पना से सिहर उठते हैं ?
5. जीवन की पूर्णता के लिए आवश्यक है ?
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(1.)स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात भी राष्ट्रभाषा के रूप में हम अब तक ठीक प्रकार से वाणी प्राप्त नहीं कर पाए।
(2).हमारी परतंत्रता आंधी तूफान नहीं आई जिसका आकस्मिक संपर्क तीव्र अनुभूति से अस्तित्व को कंपीत कर देता है।
(3.)शिक्षा कला साहित्य आदि संस्कार के अक्षय के वाहक हैं।
(4.)हम स्वतंत्रता के अभाव में जीवित रहने की कल्पना से सिहर उठते हैं।
(5.)जीवन की पूर्णता के लिए उसके मनोजगत को मुक्त करना होगा।
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