निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों केउत्तर लिखिए-
नवाब साहब ने खीरे की सब फाँकों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से हाथ और होंठ पोंछ लिए और गर्व से गुलाबीआँखों से हमारी ओर देख लिया, मानो कह रहे हों- यह है खानदानी रईसों का तरीका !
नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा- यह है खानदानी तहज़ीब, नफ़ासत और नज़ाकत ! हम गौर कर रहे थे, खीरा इस्तेमाल करने के इस तरीके को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से संतुष्ट होने का सूक्ष्म, नफ़ीस या एब्सट्रेक्ट तरीका जरूर कहा जा सकता है, परंतु क्या ऐसे तरीके से उदर की तृप्ति भी हो सकती है ? नवाब साहब की ओर से भरे पेट के ऊँचे डकार का शब्द सुनाई दिया और नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कह दिया, 'खीरा लज़ीज़ होता है, लेकिन होता है सकील, नामुराद मेदे पर बोझ डाल देता है।'
(क) नवाब साहब का खीरा खाने का ठंग किस तरह अलग था ? (शब्द सीमा 30-40 शब्द)
(ख) नवाब साहब खीरा खाने के अपने ढंग के माध्यम से क्या दिखाना चाहते थे? (शब्द सीमा 30-40 शब्द)
(ग) नवाब साहब ने अपनी खीज मिटाने के लिए क्या किया है? (शब्द सीमा 30-40 शब्द)
Answers
Answer:
(क) नवाब ने खीरे को पहले काटा। उसे छीला और उसका कड़वापन निकाला। वो उसे खाना नही चाहते थे इसलिये उन्होंने खीरे को सूंघा उसका पानी पिया और खीरे की फाँके खिड़की से बाहर फेंक दीं।
(ख) नवाब खीरा खाने के अपने ढंग से यह दिखाना चाहते थे कि खीरा गरीबों का फल है और उसे खाना नवाबों की शान के खिलाफ है। इसलिये उन्होंने खीरे को काटकर भी नही खाया।
(ग) नवाब ने खीरा काटने के बाद उसे फेंक कर अपनी खीज मिटाने के लिए बहाना बना दिया कि खीरा उनके पेट के लिए ठीक नहीं होता इसके लिए उन्होंने खीरा नही खाया।
Explanation:
(क) नवाब ने खीरे को पहले काटा। उसे छीला और उसका कड़वापन निकाला। वो उसे खाना नही चाहते थे इसलिये उन्होंने खीरे को सूंघा उसका पानी पिया और खीरे की फाँके खिड़की से बाहर फेंक दीं।
(ख) नवाब खीरा खाने के अपने ढंग से यह दिखाना चाहते थे कि खीरा गरीबों का फल है और उसे खाना नवाबों की शान के खिलाफ है। इसलिये उन्होंने खीरे को काटकर भी नही खाया।
(ग) नवाब ने खीरा काटने के बाद उसे फेंक कर अपनी खीज मिटाने के लिए बहाना बना दिया कि खीरा उनके पेट के लिए ठीक नहीं होता इसके लिए उन्होंने खीरा नही खाया।