निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, ‘बाबा ! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।’ खाँ साहब मुस्कराए। लाड़ से भरकर बोले, घत् ! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया में मिला है, लुंगिया ने नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता? क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया? ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?
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a)ek din shishya ne kha sahab ko kaha ki veh fati hui tehmad kyu pehnte hai esa use isliye kaha kyuki use lagta tha ki kha sahab ki kitni pratishta hai unko bahart ratna bhi mil Chuka hai mgr use bavjud veh fti Hui tehmad pehnte hai
b) Kha sahab ne shishya ki samjhaya ki unko Bharat ratna shehnai Mai Mila hai lungi Mai nhi toh unka huner shenai ka hai na ki acchi lungi pehnne ka
c) is se yeh pta chlta hai ki kha sahab sochte the ki admi ki pehchan vastr se nhi hoti huner (talent) aur imandari se hoti hai
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