निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : ज्ञान - राशि के संचित कोष का नाम ही साहित्य है । सब तरह के भावों को प्रकट करने की योग्यता रखने वाली और निर्दोष होने पर भी , यदि कोई भाषा अपना निज का साहित्य नहीं रखती तो वह , रूपवती भिखारिन की तरह , कदापि आदरणीय नहीं हो सकती । उसकी शोभा , उसकी श्रीसम्पन्नता , उसकी मान - मर्यादा उसके साहित्य पर ही अवलम्बित रहती है । जाति विशेष के उत्कर्षोपकर्ष का , उसके उच्चनीय भावों का , उसके धार्मिक विचारों और सामाजिक संघटन का उसके ऐतिहासिक घटनाचक्रों और राजनैतिक स्थितियों का प्रतिबिंब देखने को यदि कहीं मिल सकता है तो उसके ग्रंथ साहित्य ही में मिल सकता है । सामाजिक शक्ति या सजीवता , सामाजिक अशक्ति या निर्जीवता और सामाजिक सभ्यता तथा असभ्यता का निर्णायक एकमात्र साहित्य है । जातियों की क्षमता और सजीवता यदि कहीं प्रत्यक्ष देखने को मिल सकती है तो उसके साहित्य रूपी आईने में ही मिल सकती है । इस आईने के सामने जाते ही हमें यह तत्काल मालूम हो जाता है कि अमुक जाति की जीवनी शक्ति इस समय कितनी या कैसी है और भूतकाल में कितनी और कैसी थी । आप भोजन करना बंद कर दीजिए या कम कर दीजिए , आप का शरीर क्षीण हो जाएगा और भविष्य - अचिरात् नाशोन्मुख होने लगेगा । इसी तरह आप साहित्य के रसास्वादन से अपने मस्तिष्क को वंचित कर दीजिए , वह निष्क्रिय होकर धीरे - धीरे किसी काम का न रह जाएगा । शरीर का खाद्य भोजन है और मस्तिष्क का खाद्य साहित्य । यदि हम अपने मस्तिष्क को निष्क्रिय और कालांतर में निर्जीव - सा नहीं कर डालना चाहते , तो हमें साहित्य का सतत सेवन करना चाहिए और उसमें नवीनता और पौष्टिकता लाने के लिए उसका उत्पादन भी करते रहना चाहिए
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which class question is this the
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humein साहित्य का पठन पाठन क्यों करते रहना चाहिए
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