निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए
राष्ट्रीय एकता का अर्थ यह है कि देश के सभी चाहे वे किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा अथवा क्षेत्र से संबंधित हो, इन सब सीमाओं से ऊपर उठकर इस समूचे देश के प्रति वफादार और आत्मीयतापूर्ण है। इसके लिए यदि उनको अपने निजी स्वार्थ अथवा समूह के स्वार्थ का भी त्याग करना पड़े तो उसके लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए। और उनके लिए देश का हित सर्वोपरि होना चाहिए। किंतु कभी-कभी तो लगता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद हम राष्ट्रीय एकता से विमुख होकर राष्ट्रीय विघटन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। स्वतंत्रता के पहले गांधीजी के नेतृत्व में पूरा देश एक होकर अंग्रेजी साम्राज्य के विरूद्ध लड़ा था। परंतु उसके बाद पुनः हम धर्म, भाषा, क्षेत्रीयता के नाम से आपसी झगड़ों में उलझ गए हैं। कई बार ऐसा लगता है कि हमारे देश में असमिया, बंगाली, पंजाबी, मराठा, मद्रासी इत्यादि तो हैं, पर भारतीय बिरले ही हैं। हमारा देश प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, विचारधाराओं तथा परंपराओं का समन्वय-स्थल रहा है परंतु आधुनिक काल में जब से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में अलगाव होने लगा, पारस्परिक द्वेष, घृणा और संघर्ष बढ़ने लगा, तभी राष्ट्र प्रत्येक दृष्टि से कमज़ोर होने लगा। राजनीतिक दल इस पारस्परिक तनाव का लाभ उठाकर राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने लगे। इसीलिए नेहरू जी ने कहा था, “मैं सांप्रदायिकता को देश का सबसे बड़ा शत्रु मानता हूँ।“
(i) राष्ट्रीय एकता का अर्थ है
1 point
परस्पर विरोधी जातियों का एक होना
विभिन्न भाषा-भाषियों में एक-दूसरे की भाषा के प्रति लगाव होना
एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों के प्रति श्रद्धा-भाव होना
सभी भेदभावों को भूलकर देश में एकता बनाए रखना
(ii) ‘देश का हित सर्वोपरि चाहिए - कथन का तात्पर्य है
1 point
अपना काम छोड़कर केवल देश-सेवा
देश के लिए अपनी प्रिय वस्तु का बलिदान
देश के लिए जातिगत स्वार्थों का त्याग
स्वार्थ त्याग कर देश के हित की चिंता
(iii) लेखक को क्यों लगता है कि हम राष्ट्रीय विघटन की ओर बढ़ रहे हैं?
1 point
नागरिकों के आपस में झगड़ने के कारण
स्वार्थ के लिए देश के हित का त्याग करने के कारण
धर्म, भाषा और क्षेत्रीयता की भावना के कारण
परस्पर ऊच-नीचे के भाव के कारण
(iv) लेखक के अनुसार राष्ट्र कमजोर क्यों हो रहा है?
1 point
क्षेत्रीयता के पनपने के कारण
धर्म के नाम पर आपसी झड़गों के कारण
राजनीतिक दलों की स्वार्थी प्रवृति के कारण
सांप्रदायिक अलगाव, द्वेष और पृष्णा के कारण
(v) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
1 point
राष्ट्रीय एकता
धर्म और संप्रदाय
सांप्रदायिकता
राष्ट्रीय विचारधारा
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Answer & Explanation:
- राष्ट्रीय एकता का अर्थ अर्थ है कि देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी संप्रदाय से संबंध रखते हों, किसी भी जाति के हों, किसी भी धर्म को मानने वाले हो, उनकी कोई भी भाषा हो अथवा किसी भी राज्य या क्षेत्र से संबंधित हों, वह इन सारी सीमाओं से ऊपर उठकर, सारे भेदभाव को भुलाकर अपने देश के प्रति वफादार होकर, आत्मीयता पूर्ण ढंग से ...24-Nov-2020
- स्वार्थ त्याग कर देश के हित की चिंता
- धर्म, भाषा और क्षेत्रीयता की भावना के कारण।
- (घ) सांप्रदायिक अलगाव द्वेष और घृणा के कारण
व्याख्या:
लेखक के अनुसार राष्ट्र कमजोर इसलिए हो रहा है, क्योंकि चारों तरफ सांप्रदायिक अलगाव, द्वेष और घृणा का वातावरण फैला हुआ है। धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे से लड़ रहे हैं और एक दूसरे के धर्म के से घृणा करने लगे हैं। जिससे लोगों में एकजुटता का अभाव दिखता है। सबको अपना धर्म श्रेष्ठ लगता है और दूसरे धर्म में कमियां ही कमियां नजर आती हैं। धर्मांध होकर लोग एक दूसरे के प्राण लेने को उतारू हो जाते हैं, जिससे बाहरी तत्व फायदा उठा रहे हैं और राष्ट्र कमजोर हो रहा है।
5. राष्ट्रीय एकता
#SPJ3
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