१) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उत्तर अपने शब्दों में दीजिये
मानव विवेक और बुद्धि से संपन्न होने के कारण सभी प्राणियों में श्रेष्ठ ह। वह अपने छोटे से छोटे
जीवन में बहुत सारे कार्य संपन्न कर लेना चाहता ह , किन्तु जो लोग बिना सोचे समझे कोई भी कार्य
कर देते है, उन्हें आगे चलकर बहुत पछताना पड़ता है और अंततः असफलता ही हाथ लगती ह।
अतः सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक की हम जो कार्य करें उसकी प्रकृति परिणाम आदि के
बारे में अच्छी तरह से सोच विचार ले।उस से प्राप्त होने वाले लाभ-हानि का भली-भाँति विश्लेषण
न
कर ले। ताकि हमारी ऊर्जा व श्रम का दुरुपयोग हो सका
हमारी
बहुत
सी समस्याएं बिना विचारे कार्य करने का परिणाम होता होती है। बिना विचारे कार्य
करने से हम सदा चिंतित एवं अवसन्न होकर अकथनीय कष्टों से अपने जीवन को अभिपूरित कर
लेते ह। अविचारित कार्यो को करके हम मन-ही-म न पछताते रहते है, किन्तु उसका कोई लाभ नहीं
होता ह।कभी कभी अविचरित कार्यों के दुष्परिणामों के दुष्प्रभाव बहुत भयानक होते हैं।, किन्तु दुःख
इस बात का है, ऐसे कार्यों को करने से पहले मानव कभी यह अनुभव हि नहीं करता की अविचारित
कार्य का दुष्परिणाम उसके लिए यह विनाशक हो सकता ह।
विचारपूर्वक कार्य करने वाला ही यह जान सकता है की कर्तव्य क्या है और अकर्तव्य क्या है?कर्तव्य
और अकर्तव्य का विवेक रहने से ही मानव कर्म के साथ ज्ञान और बुद्धि का मेल बैठाता है और
परिणामस्वरूप अविचेरित कर्म के विनाशक परिणामो से बच जाता है।इससे सुविचारित कर्म करने
मानव का सर्वोत्कृस्ट कर्तव्य है। इसी के आधार पर जीवन को संपूर्ण , सबल एवं प्रभावशाली बनाया
जा सकता है।
क) अविचारित कार्य करने का दुष्परिणाम क्या होता है ?
ख) अविचारित कर्म के दुष्परिणाम से कैसे बचाया जा सकता है?
ग) सुविचारित कार्य करने कौन सा लाभ होता है?
घ) कर्तव्य और अकर्तव्यका बोध किसे रहता है?
इ) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करो?
सर्वोत्कृष्ट
Answers
१) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उत्तर अपने शब्दों में दीजिये
मानव विवेक और बुद्धि से संपन्न होने के कारण सभी प्राणियों में श्रेष्ठ ह। वह अपने छोटे से छोटे
जीवन में बहुत सारे कार्य संपन्न कर लेना चाहता ह , किन्तु जो लोग बिना सोचे समझे कोई भी कार्य
कर देते है, उन्हें आगे चलकर बहुत पछताना पड़ता है और अंततः असफलता ही हाथ लगती ह।
अतः सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक की हम जो कार्य करें उसकी प्रकृति परिणाम आदि के
बारे में अच्छी तरह से सोच विचार ले।उस से प्राप्त होने वाले लाभ-हानि का भली-भाँति विश्लेषण
न
कर ले। ताकि हमारी ऊर्जा व श्रम का दुरुपयोग हो सका
हमारी
बहुत
सी समस्याएं बिना विचारे कार्य करने का परिणाम होता होती है। बिना विचारे कार्य
करने से हम सदा चिंतित एवं अवसन्न होकर अकथनीय कष्टों से अपने जीवन को अभिपूरित कर
लेते ह। अविचारित कार्यो को करके हम मन-ही-म न पछताते रहते है, किन्तु उसका कोई लाभ नहीं
होता ह।कभी कभी अविचरित कार्यों के दुष्परिणामों के दुष्प्रभाव बहुत भयानक होते हैं।, किन्तु दुःख
इस बात का है, ऐसे कार्यों को करने से पहले मानव कभी यह अनुभव हि नहीं करता की अविचारित
कार्य का दुष्परिणाम उसके लिए यह विनाशक हो सकता ह।
विचारपूर्वक कार्य करने वाला ही यह जान सकता है की कर्तव्य क्या है और अकर्तव्य क्या है?कर्तव्य
और अकर्तव्य का विवेक रहने से ही मानव कर्म के साथ ज्ञान और बुद्धि का मेल बैठाता है और
परिणामस्वरूप अविचेरित कर्म के विनाशक परिणामो से बच जाता है।इससे सुविचारित कर्म करने
मानव का सर्वोत्कृस्ट कर्तव्य है। इसी के आधार पर जीवन को संपूर्ण , सबल एवं प्रभावशाली बनाया
जा सकता है।
क) अविचारित कार्य करने का दुष्परिणाम क्या होता है ?
ख) अविचारित कर्म के दुष्परिणाम से कैसे बचाया जा सकता है?
ग) सुविचारित कार्य करने कौन सा लाभ होता है?
घ) कर्तव्य और अकर्तव्यका बोध किसे रहता है?
इ) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करो?
सर्वोत्कृष्ट