Hindi, asked by nisanighddev, 4 months ago

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

जाति-प्रथा को यदि अम-विभाजन मान लिया जाए, तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है, क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है। जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्राय आती है, क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत हैं। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

1 कुशल श्रमिक-समाज का निर्माण करने के लिए क्या आवश्यक है?

1. व्यक्ति की क्षमता को इस सीमा तक विकसित करना जिससे वह अपने पेशे का चुनाव स्वयं कर सके। ii. व्यक्ति की क्षमता को इस सीमा तक विकसित करना जिससे वह अपने पेशे का चुनाव स्वयं न कर सके।

iii. व्यक्ति की क्षमता को इस सीमा तक विकसित करना जिससे उसके पेशे का चुनाव दूसरे न कर सके। iv. व्यक्ति की क्षमता को इस सीमा तक विकसित करना जिससे उसके पेशे का चुनाव दूसरे कर सके।

1. जाति-प्रथा के सिद्धांत का दूषित विचार क्या है?

1. उसके पेशे का उसके द्वारा निर्धारण करना i. उसके पेशे का उसके जन्म से पूर्व निर्धारण करना

ii. उसके पेशे को निश्चित करना

iv. उसके पेशे को अपर्याप्त करना

IL हिन्दू धर्म की जाति-प्रथा किसी भी व्यक्ति को कौनसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है ?1.जो उसका पैतृक पेशा न हो

ii. जो उसका पैतृक पेशा हो

iii. जिसमें वह पारंगत न हो

iv. जिसमें वह पारंगत हो

IV. कौनसा विभाजन मनुष्य की रूचि पर आधारित है?

1, जाति प्रथा

ii. जाति विभाजन

iii. श्रम विभाजन

iv. उपरोक्त में से कोई नहीं

V. प्रतिकूल परिस्थिति में व्यक्ति पेशा बदलने की स्वतंत्रता न मिलने पर क्या हो सकता है?

1. उसके भूखे मरने की नौबत आ सकती है

ii. उसके पेशा बदलने की नौबत आ सकती है

iii. उसके जाति बदलने की नौबत आ सकती है iv. उसके श्रम करने की नौबत आ सकती है​

Answers

Answered by asa206641
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Explanation:

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