निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए पाँचों उँगलियाँ समान नहीं होती, ऐसे ही सब बच्चे एक ही विचार के नहीं होते। उनमें भिन्न-भिन्न विशेषताएँ हुआ करती हैं। यद्यपि प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ सभी में समान हैं, किन्तु किसी-न-किसी कोई प्रवृत्ति बढ़ी हुई होती है। उदाहरणार्थ कोई बालक आगे चलकर डॉक्टर बनता है, कोई इंजीनियर कोई अध्यापक कोई कवि कोई कलाकार, कोई नेता, कोई समाज सुधारक इत्यादि समाज को इन सब प्रकार के मनुष्यों की आवश्यकता है और इन्हीं व्यक्तियों से समाज में निर्माण होता है। अतः शिक्षा प्राप्ति के समय प्रत्येक बालक का व्यक्तित्व से परिचित हो जाना उसके जीवनोत्थान के लिए सीढ़ी का काम करता है। इन सब बातों का विचार कर बालक को शिक्षा देने से ही उसके व्यक्तित्व का विकास हो सकेगा और वह भावी जीवन संग्राम का कुशल योद्धा बन पाएगा। प्रत्येक अध्यापक को भी बालकों की आवश्यकताओं को दृष्टि में रखकर चलना चाहिए। प्रारम्भ से ही उनमें आशा के बीज बोने चाहिए और अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ होने पर भी उन्हें हँसते हुए सहन करने की शिक्षा देनी चाहिए। इससे वे अपने भविष्य को सुखमय बना सकते हैं। शिक्षा केवल पाठशाला में ही सीखने की कला नहीं है। यह जीवन के साथ वैसे ही समबद्ध है, जैसे शरीर के साथ प्राण शिक्षा जीवनोपयोगी वस्तु है। यह व्यक्ति तक ही सीमित नहीं है वरन् समाज में भी उसी रूप में निहित है। लिखना पढ़ना और हिसाब लगा लेना ही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य नहीं है। वस्तुतः शिक्षा का अर्थ है शारीरिक, मानसिक एवं नैतिक विकास वास्तविक शिक्षा प्राप्त करने के लिए पाठशाला बनानी होगी और माता-पिता को बच्चे के सुधार के लिए कुछ करना होगा। सर्वप्रथम जीवन के प्रारंभिक दिनों में शिशु के शारीरिक विकास पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उत्तम और स्वस्थ शरीर में ही पुष्ट मस्तिष्क की संभावना की जा सकेगी और शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ होने से शुद्ध विचारों का सृजन हो सकेगा। इन सुधारों के पश्चात बच्चों की आवश्यकताओं को समझते हुए उन्हें भावी जीवन-पथ का सफल पथिक बनाने के लिए उत्तम शिक्षा देनी चाहिए। (क) शिक्षा का क्या उद्देश्य है ? (ख) बालक आगे चलकर अलग-अलग व्यवसाय क्यों अपनाते हैं? (ग) किस प्रकार सी शिक्षा (घ) शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ होने से क्या होगा? आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं? (5) गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
Answers
(क) शिक्षा का क्या उद्देश्य है ?
➲ शिक्षा का उद्देश्य बालक के गुणों को पहचान कर उन्हें विकसित कर उसे योग्य बनाना है, ताकि वह अपने जीवन में समर्थ बन सके।
(ख) बालक आगे चलकर अलग-अलग व्यवसाय क्यों अपनाते हैं?
➲ बालक आगे चलकर अलग-अलग व्यवसाय इसलिए अपनाते हैं क्योंकि भले ही बालकों में प्राकृतिक प्रवृतियां समान हो, लेकिन हर बालक में कोई एक विशेष प्रवृत्ति अधिक मात्रा में होती है। अपनी अलग-अलग प्रवृत्तियों के कारण ही बालक आगे चलकर अलग-अलग व्यवसाय अपनाते हैं।
(ग) किस प्रकार की शिक्षा से आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं?
➲ आशा से भरी हुई और किसी भी तरह की कठिनाइयों को हँसकर सहन करने तथा विपत्तियों से मुकाबला करने की समझ देने वाली शिक्षा से ही हम अपनी जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
(घ) शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ होने से क्या होगा?
➲ शरीर और मस्तिष्क के स्वस्थ होने से मन शुद्ध विचारों सृजन होगा और शरीर तरह की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिये हमेशा तैयार रहेगा।
(ङ) गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
➲ गद्धांश का शीर्षक होगा...
► अच्छी शिक्षा कैसी हो?
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