निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए । उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए -
कनाट सरकस के बाग में जहां नई दिल्ली की सब सड़कें मिलती हैं, जहां शाम को रसिक और दोपहर को बेरोज़गार आ बैठते हैं, तीन आदमी, खड़ी धूप से बचने के लिए, छांह में बैठे, बीड़ियां सुलगाए बातें कर रहे हैं. और उनसे ज़रा हटकर, दाईं ओर, एक आदमी खाकी-से कपड़े पहने, अपने जूतों का सिरहाना बनाए, घास पर लेटा हुआ मुतवातर खांस रहा है.
पहली बार जब वह खांसा तो मुझे बुरा लगा. चालीस-पैंतालीस वर्ष का कुरूप-सा आदमी, सफ़ेद छोटे-छोटे बाल, काला, झाइयों-भरा चेहरा, लम्बे-लम्बे दांत और कन्धे आगे को झुके हुए, खांसता जाता और पास ही घास पर थूकता जाता. मुझसे न रहा गया. मैंने कहा,‘सुना है, विलायत में सरकार ने जगह-जगह पीकदान लगा रखे हैं, ताकि लोगों को घास-पौधों पर न थूकना पड़े.’
उसने मेरी ओर निगाह उठाई, पल-भर घूरा, फिर बोला,‘तो साहब, वहां लोगों को ऐसी खांसी भी न आती होगी.’ फिर खांसा, और मुस्कराता हुआ बोला,‘बड़ी नामुराद बीमारी है, इसमें आदमी घुलता रहता है, मरता नहीं.’
मैंने सुनी-अनसुनी करके, जेब में से अख़बार निकाला और देखने लगा. पर कुछ देर बाद कनखियों से देखा, तो वह मुझ पर टकटकी बांधे मुस्करा रहा था. मैंने अख़बार छोड़ दिया,‘क्या धन्धा करते हो?’
‘जब धन्धा करते थे तो खांसी भी यूं तंग न किया करती थी.’
‘क्या करते थे?’
उस आदमी ने अपने दोनों हाथों की हथेलियां मेरे सामने खोल दीं. मैंने देखा, उसके दाएं हाथ के बीच की तीन उंगलियां कटी थीं. वह बोला, ‘मशीन से कट गईं. अब मैं नई उंगलियां कहां से लाऊं? जहां जाओ, मालिक पूरी दस उंगलियां मांगता है,’ कहकर हंसने लगा.
‘पहले कहां काम करते थे?’
‘कालका वर्कशॉप में.’
हम दोनों फिर चुप हो गए. उसकी रामकहानी सुनने को मेरा जी नहीं चाहता था, बहुत-सी रामकहानियां सुन चुका था. थोड़ी देर तक वह मेरी तरफ़ देखता रहा, फिर छाती पर हाथ रखे लेट गया. मैं भी लेटकर अख़बार देखने लगा, मगर थका हुआ था, इसलिए मैं जल्दी ही सो गया.
जब मेरी नींद टूटी तो मेरे नज़दीक धीमा-धीमा वार्तालाप चल रहा था,‘यहां पर भी तिकोन बनती है, जहां आयु की रेखा और दिल की रेखा मिलती हैं. देखा? तुम्हें कहीं से धन मिलनेवाला है.’
मैंने आंखें खोलीं. वही दमे का रोगी घास पर बैठा, उंगलियां कटे हाथ की हथेली एक ज्योतिषी के सामने फैलाए अपनी क़िस्मत पूछ रहा था.
‘लाग-लपेटवाली बात नहीं करो, जो हाथ में लिखा है, वही पढ़ो.’
‘इधर अंगूठे के नीचे भी तिकोन बनती है. तेरा माथा बहुत साफ़ है, धन ज़रूर मिलेगा.’
‘कब?’
‘जल्दी ही.’
देखते-ही-देखते उसने ज्योतिषी के गाल पर एक थप्पड़ दे मारा. ज्योतिषी तिलमिला गया.
‘कब धन मिलेगा? धन मिलेगा! तीन साल से भाई के टुकड़ों पर पड़ा हूं, कहता है, धन मिलेगा!’
ज्योतिषी अपना पोथी-पत्रा उठाकर जाने लगा, मगर यजमान ने कलाई खींचकर बिठा लिया,‘मीठी-मीठी बातें तो बता दीं, अब जो लिखा है, वह बता, मैं कुछ नहीं कहूंगा.’
ज्योतिषी कोई बीस-बाईस वर्ष का युवक था. काला चेहरा, सफ़ेद कुर्ता और पाजामा जो जगह-जगह से सिला हुआ था. बातचीत के ढंग से बंगाली जान पड़ता था. पहले तो घबराया फिर हथेली पर यजमान का हाथ लेकर रेखाओं की मूकभाषा पढ़ता रहा. फिर धीरे से बोला,‘तेरे भाग्य-रेखा नहीं है.’
प्रश्न 1- रोजगार हीन व्यक्ति कब ,कहाँ और क्यों बैठते थे ? (2)
प्रश्न 2- खाँसने वाला व्यक्ति के संबंध में आप क्या जानते हैं? समझाकर लिखिए । (2)
प्रश्न3- विलायत में कैसी व्यवस्था है ? उसे वहाँ के लोगों को क्या लाभ होता है ?
समझाकर लिखिए । (2)
प्रश्न 4- काल्कावर्कसोप से संबंधित घटना के संबंध में ज्योतिषि का क्या विचार था ?
वह आपके समझ से कहाँ तक उचित हैं ? समझाकर लिखिए। (2)
प्रश्न 5-राम - कहानी कौन ,किसकी सुनना नहीं चाहता और क्यों ? (2)
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I Don't No This Language.plese try to Bengali
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