निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
मित्र का कर्त्तव्य इस प्रकार बताया गया है-‘उच्च और महान् कार्य में इस प्रकार सहायता देना, मन बढ़ाना और साहस दिलाना कि तुम अपनी निज की सामर्थ्य से बाहर काम कर जाओ । यह कर्तव्य उसी से पूरा होगा, जो दृढ़-चित्त और सत्य-संकल्प का हो ।इससे हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए, जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो । हमें उनका पल्ला उसी तरह पकङना चाहिए, जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था । मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध ह्रदय के हों, मृदुल और पुरुषार्थी हों, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों, जिससे हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सकें कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा ।
(अ) उपर्युक्त अवतरण का सन्दर्भ लिखिए । (ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. मित्र के कौन-से कर्त्तव्य बताये गये हैं ?
2. मित्र किस प्रकार के होने चाहिए ?
3. गद्यांश में प्रयुक्त मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए ।
Answers
Answer:
how are you doing tonight or not to bad you can't be there at like half of it and it is free and I have to write a letter to my mom and dad is in the world to me about your dad to come back to work with the girls are so sweet of you who have
उपर्युक्त गद्यांश में दिए गए प्रश्नों उत्तर निम्नलिखित हैं-
Explanation:
(अ) सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पठित पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित 'मित्रता ' नामक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम श्री आचार्य रामचन्द्र शुक्ल है।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या: लेखक का कहना है कि सच्चा मित्र वही है, जो आवश्यकता पड़ने पर अपनी शक्ति और सामर्थ्य से बढ़ कर सहायता करे। सच्चे मित्र का कर्तव्य है कि वह अपने मित्र की विपदा में उसकी सहायता कर के उसका साहस और उत्साह बढ़ाये। वह अपने को अकेला समझ कर निराश न हो, बल्कि उसका मनोबल बना रहे। इस प्रकार वह अपनी शक्ति से कई गुना बड़ा काम बड़ी सरलता से कर लेगा। ऐसा काम वही व्यक्ति कर सकता है जो स्वयं दृढ़ विचारों और सत्य संकल्पों वाला होता है। लेखक कहता है कि हमें ऐसे मित्र बनाने चाहिए जो समाज में आदरणीय और मान्य हों, ह्रदय से निर्विकार हों, मृदुभाषी एवं सत्यनिष्ठ हों तथा सभ्य एवं परिश्रमी हों। इन गुणों से युक्त मित्र पर ही पूर्ण विश्वास किया जा सकता है। ऐसे मित्रों से कभी भी किसी प्रकार के धोखे या कपट आशंका नहीं रहेगी।
(स)
1. एक सच्चे मित्र का कर्तव्य होता है कि वह उचित और श्रेष्ठ कार्य में मित्र की सहायता करे, उसके उत्साह और साहस को इस तरह बढ़ाये कि वह अपनी सामर्थ्य से अधिक का काम कर सके।
2. मित्र ऐसे होने चाहिए जो समाज में आदरणीय और मान्य हों, ह्रदय से निर्विकार हों, मृदुभाषी एवं सत्यनिष्ठ हों तथा सभ्य एवं परिश्रमी हों सत्यवादी हों।
3.
- मन बढ़ाना (उत्साहित करना)
वाक्य में प्रयोग- जाम्बवन्त ने हनुमान का मन इस तरह बढ़ाया कि वे समुद्र लांघ कर लंका जाने को तैयार हो गए।
- पल्ला पकड़ना (सहारा लेना)
वाक्य में प्रयोग- सुग्रीव ने बालि से मुक्ति पाने के लिए ही राम का पल्ला पकड़ा था।