निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
मित्रता के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या एक ही रुचि के हों । इसी प्रकार प्रकृति और आचरण की समानता भी आवश्यक या वांछनीय नहीं है । दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में बराबर प्रीति और मित्रता रही है । राम धीर और शान्त प्रकृति के थे, लक्ष्मण उग्र और उद्धत स्वभाव के थे, पर दोनों भाइयों में अत्यन्त प्रगाढ़ स्नेह था । उदार तथा उच्चाशय कर्ण और लोभी दुर्योधन के स्वभावों में कुछ विशेष समानता न थी, पर उन दोनों की मित्रता खूब निभी । यह कोई बात नहीं है कि एक ही स्वभाव और रुचि के लोगों में ही मित्रता हो सकती है ।
(अ) प्रस्तुत अवतरण का सन्दर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) राम-लक्ष्मण और कर्ण-दुर्योधन के स्नेह और मित्रता के कारणों पर प्रकाश डालिए ।
Answers
Answer:
well I hope so too and I will send you at work and is going to be with me and my dad is in a few weeks ago and now I am not at the same way about me or something like that and you are saying that you have a great day and and sweet and I will be there in
उपर्युक्त गद्यांश में दिए गए प्रश्नों उत्तर निम्नलिखित हैं-
Explanation:
(अ) सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पठित पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित 'मित्रता ' नामक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम श्री आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हैं।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या: लेखक का कहना है कि सच्ची मित्रता के लिए दो व्यक्तियों का स्वभाव एक समान हो ज़रूरी नहीं बल्कि दोनों व्यक्ति दूसरे से कितनी सहानुभूति रखते हैं यह ज़रूरी है। जो इस बात को समझते हैं तो विपरीत स्वभाव होने पर भी सच्ची मित्रता सिद्ध हो सकती है परन्तु जो लोग इस बात को नहीं समझते वह समान स्वभाव होने पर भी मित्र नहीं हो सकते। इस तथ्य के स्पष्ट उदहारण के रूप में राम- लक्षमण तथा कर्ण-दुर्योधन हैं।
(स) राम और लक्षमण के भिन्न स्वभाव होने के बावजूद उनमें बहुत प्रेम और स्नेह था। राम धैर्यशाली तथा शान्त स्वभाव के थे, जबकि लक्षमण उग्र और उत्तेजित स्वभाव के थे। इसी प्रकार कर्ण जहाँ महान विचारों वाले और दानी व्यक्ति थे तो वहीँ दुर्योधन स्वार्थी तथा लोभी व्यक्ति था, फिर भी दोनों की घनिष्ट मित्रता अटूट थी।