निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
ऐसे निबन्धों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे मन की स्वच्छन्द रचनाएँ हैं । उनमेें न कवि की उदात्त कल्पना रहती है, न आख्यायिका-लेखक की सूक्ष्म दृष्टि और न विज्ञों की गम्भीर तर्कपूर्ण विवेचना । उनमें लेखक की सच्ची अनुभूति रहती है । उनमें उसके सच्चे भावों की सच्ची अभिव्यक्ति होती है, उनमें उसका उल्लास रहता है । ये निबन्ध तो इस मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं, जिसमें न ज्ञान की गरिमा रहती है और न कल्पना की महिमा, जिसमें हम संसार को अपनी ही दृष्टि से देखते हैं और अपने ही भाव से ग्रहण करते हैं ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का संदर्भ लिखिए अथवा गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. निबन्ध किस मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं ?
2. मॉनटेन की शैली के निबन्धों की विशेषता क्या है ?
3. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस शैली के निबन्धों की विशेषता बतायी है ?
Answers
(अ) प्रस्तुत गद्यांश गद्य खंड में संकलित ‘क्या लिखें?’ शीर्षक वाले ललित निबंध से उद्धृत किया गया है, इसके लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं।
(ब) रेखांकित अंश स्पष्ट नही हैं, इसलिये पूरे गद्य की व्याख्या इस प्रकार है...
लेखक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी कहते हैं कि मॉनटेन शैली के अनुसार लिखे हुए निबंधों की सबसे बड़ी खासियत होती है कि ऐसे निबंध के लेखक के हृदय से निकले हुए उद्गार होते हैं। इस तरह के निबंधों में किसी कवि कविता में की गई ऊँटी कल्पनाएं या किसी कहानी को लिखने के लिए की सूक्ष्म दृष्टि की जरूरत नहीं होती और ना ही किसी गंभीर तर्कपूर्ण विवेचन की जरूरत होती है। इस तरह के के लेखों में लेखक अपने मन की सच्ची भावना को पूर्ण स्वतंत्रता और प्रसन्नता के साथ दर्शाता है। ये लेखक का स्वाभाविक लेखन होता है इसमें किसी विद्वता की दिखाने की आवश्यकता नहीं होती। वह अपने भावों को उसी रूप में लिखता है जिस रूप में वह चाहता है। स्वच्छंदतावादी शैली में लिखे हुए निबंध के माध्यम से लेखक ने अपने मन में उठते हुए विचारों को बिल्कुल वैसे ही पेश कर देता है जैसे कि वह चाहता है। इस तरह के निबंधों में कोई बहुत बड़ी ज्ञान की बातें नहीं होती और ना ही बड़ी-बड़ी कल्पनाओं की उड़ान होती है। वास्तव में यह निबंध वास्तविकता के धरातल को छूते हुए लेखक के मन के सच्चे उद्गार होते हैं। लेखक वास्तविक रूप में जैसा अनुभव करता है वैसा ही व्यक्त करता है।
(स)
1. इस तरह के निबंध ऐसी मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं, जिसमें ना तो किसी तरह का ज्ञान या गौरव का समावेश होता है और ना ही कल्पनाओं की ऊंची उड़ान होती है। इस तरह के निबंधों में लेखक स्वाभाविक रूप से अपने मन के विचारों को अभिव्यक्त करता है।
2. मॉनटेन ही शैली के निबंधों की विशेषता यह है कि वह इसी तरह के बंधन से मुक्त होकर लेखक के ह्रदय से निकली रचनाएं होती हैं। इनमें वास्तविकता की अनुभूति होती है और लेखक के मन के भावों का स्वभाविक प्रकटीकरण होता है।
3. इस गद्यांश में लेखक ने स्वच्छंदतावादी यानी बंधनमुक्त शैली के निबंधों की विशेषता बताई है। लेखक यह स्पष्ट करता है कि इस तरह के निबंधों में दिखावा या बनावटीपन नहीं होता, ना ही कल्पनाओं की उड़ान होती है और ना ही किसी सुख या तर्कपूर्ण विवेचन की जरूरत होती है।