निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
आज विज्ञान मनुष्यों के हाथों में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है, उसका उपयोग एक व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष और दूसरे व्यक्ति और समूह के गिराने में होता ही रहेगा । इसलिए हमें उस भावना को जाग्रत रखना है और उसे जाग्रत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा, जो उस अहिंसात्मक त्याग-भावना को प्रोत्साहित करें और भोग-भावना को दबाये रखें । नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती । वह नैतिक अंकुश यह चेतना या भावना ही दे सकती है । वही उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियन्त्रित भी ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का संदर्भ लिखिए अथवा गद्यांश पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. विज्ञान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग किस प्रकार से हो सकता है ? इस शक्ति का प्रयोग किस भावना से किया जाना चाहिए ?
2. किसके बिना प्राप्त शक्ति मानव-मानवता के लिए हितकर नहीं होती ?
या उपर्यु्क्त अवतरण में लेखक ने मानव को क्या सन्देश दिया है ?
3. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने क्या सुझाव दिया है ? क्या आप इससे सहमत हैं ?
4. विज्ञान के सम्बन्ध में लेखक का क्या विचार है ? स्पष्ट कीजिए ।
या आज विज्ञान मनुष्य को क्या दे रहा है ?
Answers
Answer:
goku I'd be a little bit more time to do with the family and I have no how long you going to be a good time to do it all out and about it but it's a little more than anything in this eer encha loser girls in the middle of the African American I am
उपर्युक्त गद्यांश में दिये गये प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित है—
Explanation:
(अ) सन्दर्भ : प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के गद्य-खण्ड में संकलित 'भारतीय संस्कृति ' नामक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम डॉ० राजेन्द्र प्रसाद है।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या: लेखक का कहना है कि वर्तमान युग विज्ञान की उन्नति का युग है। विज्ञान की उन्नति से प्राप्त असीमित शक्ति का मनुष्य सही उपयोग नहीं कर पा रहा है। विज्ञान की इस शक्ति का उपयोग वर्तमान युग में एक व्यक्ति के उत्थान के लिए तो दूसरे व्यक्ति को गिराने में किया जा रहा है। लेखक का कहना है कि समाज में ऐसी अहिंसात्मक त्याग की भावना उत्पन्न होनी चाहिए जिससे विज्ञान की इस शक्ति का दुरूपयोग रोका जा सके। यदि विज्ञान की इस शक्ति पर प्रेम और अहिंसा जैसे नैतिक मूल्यों का नियंत्रण नहीं लगाया गया तो यह मानव के हित में खतरनाक हो सकती है। अतः विज्ञान की इस असीमित शक्ति को नैतिक बंधन स सीमित किया जा सकता है तथा इसका उपयोग विनाश के लिए नहीं निर्माण के लिए किया जा सकता है। वर्तमान समय में विज्ञान की शक्ति को कल्याण की दिशा में प्रेरित करना आवश्यक हो गया है।
(स)
1. विज्ञान की शक्ति का उपयोग अहिंसात्मक त्याग की भावना से किया जाना चाहिए। क्यूंकि विज्ञान के द्वारा प्रदत्त अतुलनीय शक्ति का उपयोग एक समूह के उत्थान तथा दूसरे के पतन के लिए हो सकता है।
2. नैतिकता पर अंकुश के बिना प्राप्त शक्ति मानव और मानवता के लिए हितकारी नहीं होती। यही विज्ञान की असीमित शक्ति को सीमित कर के उसके दुरुपयोग को नियंत्रित कर सकती है।
3. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने विज्ञान की संहारक नीति को नियंत्रित करने का सुझाव दिया है। तथा इसके नियंत्रण के लिए अहिंसा से परिपूर्ण त्याग की भावना को आवश्यक बताया है। अतः हम लेखक के इस कथन से पूरी तरह सहमत हैं।
4. विज्ञान के सम्बन्ध में लेखक का विचार है कि उसने मनुष्य के हाथों में अद्भुत शक्ति प्रदान कर दी है जिसका उपयोग मानव के हित में करना चाहिए। इसके लिए मनुष्य को अपने अंदर अहिंसात्मक त्याग की भावना उत्पन्न करना चाहिए।