Hindi, asked by ajaynayak2287, 11 months ago

निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
मगर ऐसा न आज तक हुआ है और न होगा । दूसरों को गिराने की कोशिश तो अपने को बढाने की कोशिश नहीं कहीं जा सकती । एक बात और है कि संसार में कोई भी मनुष्य निन्दा से नहीं गिरता । उसके पतन का कारण सद्गुणों का ह्रास होता है । इसी प्रकार कोई भी मनुष्य दूसरों की निन्दा करने से अपनी उन्नति नहीं कर सकता । उन्नति तो उसकी तभी होगी, जब वह अपने चरित्र को निर्मल बनाये तथा अपने गुणों का विकास करे ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) कौन-सी बात है जो आज तक न हुई है और न होगी ?
(द) मनुष्य की उन्नति कैसे हो सकती है ?
(य) मनुष्य के पतन का क्या कारण है ?

Answers

Answered by vb624457
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Answer:

स) किसी भी अंश को रेखांकित तो किया ही नहीं है।

द) अपने चरित्र को निर्मल एवं गुणों को बढ़ा कर ही मनुष्य की उन्नति हो सकती है।

य) सद्गुणों का हृास होना मनुष्य के पतन का कारण है।

Answered by sindhu789
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उपर्युक्त गद्यांश में दिए गए प्रश्नों  उत्तर निम्नलिखित हैं-

Explanation:

(अ) सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पठित पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित 'ईर्ष्या, तू न गयी मन से ' नामक निबन्ध से लिया गया है। जिसके लेखक श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं।  

(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या: लेखक का कहना है कि जो व्यक्ति ऊपर उठना चाहता है, वह अपने ही अच्छे कार्यों से ऊँचा उठ सकता है। जो व्यक्ति दूसरों की निन्दा करने में लगा रहता है वह कभी ऊपर नहीं उठ सकता। व्यक्ति का पतन किसी की निन्दा से नहीं बल्कि उसके अच्छे गुणों के नष्ट हो जाने के कारण होता है। अतः उन्नति के लिए आवश्यक है कि मनुष्य निन्दा करना छोड़ दे और अपने चरित्र को स्वच्छ बनाये तथा अपने अंदर मानवीय गुणों का विकास करे।  

(स) दूसरों को नीचा दिखा कर स्वयं को ऊँचा उठाने की प्रक्रिया न आज तक सफल हुयी है और न कभी होगी।  

(द) उन्नति के लिए आवश्यक है कि मनुष्य निन्दा करना छोड़ दे और अपने चरित्र को स्वच्छ बनाये तथा अपने अंदर मानवीय गुणों का विकास करे।

(य) मनुष्य के पतन का कारण उसके अच्छे गुणों का नष्ट होना है।

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