निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
ईर्ष्या मनुष्य का चारित्रिक दोष नहीं है, प्रत्युत इससे मनुष्य के आनन्द में भी बाधा पड़ती है । जब भी मनुष्य के ह्रदय में ईर्ष्या का उदय होता है, सामने का सुख उसे मद्धिम-सा दिखने लगता है । पक्षियों के गीत में जादू नहीं रह जाता और फूल तो ऐसे हो जाते हैं, मानो वे देखने के योग्य ही न हों ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) ईर्ष्यालु व्यक्ति किन सुखों से वंचित हो जाता है ?
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गदयांश को देखते हुए प्रश्नों का उत्तर।
Explanation:
1) प्रस्तुत गदयांश का संदर्भ ईर्षा के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को बताना हैं।
2) ईर्षा के कारण हम लोग आज संकीर्ण चिंताधारा के हो गए हैं। इसलिए ईर्षा से ऊपर उठ कर हम लोगों को दूसरों के खुशी होना पड़ेगा, तभी जाकर दुनिया में चारों तरफ अमन और शांति स्थापित होगा।
3) ईर्षालु व्यक्ति हमेशा दूसरों से जलता रहता है और इसी जलन के कारण वह कभी भी अपने पास मौजूद जो भी चीज़ें हैं उसका भी आनंद नहीं ले पाता।
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Answer:
(ग) आँधी के किस रूप को देखकर सब भयभीत हो जाते हैं? 'निर्माण' कविता के आधार पर लिखिए।
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