निम्नलिखित गद्यांशों में से किन्ही तीन की ससदर्भ व्याख्या कीजिए।
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(क) “मानव कब दानव से भी दुर्दात, पशु से भी बर्बर और पत्थर से भी कठोर करूणा के लिए निरवकाश हृदय वाला हो
जायेगा, नहीं जाना जा सकता। अतीत सुखों के लिए सोच क्यों, अनागत भविष्य के लिए भय क्यों और वर्तमान को मैं
अपने अनुकूल बना ही लूँगा, फिर चिन्ता किस बात की?"
(ख) तुम्हारे साथ उसका इतना ही संबंध है कि तुम एक उपादान हो, जिसके आश्रय से वह अपने से प्रेम कर सकता है. अपने
पर गर्व कर सकता है परन्तु तुम क्या सजीव व्यक्ति नहीं हो? तुम्हारे प्रति उसका या तुम्हारा कोई कर्तव्य नहीं है? कल
तम्हारी माँ का शरीर नहीं रहेगा और घर में एक समय के भोजन की व्यवस्था भी नहीं होगी. तो जो प्रश्न तुम्हारे सामने
उपस्थित होगा उसका तुम क्या उत्तर दोगी?
(ग) कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का ही नाम कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही ऐसा दिव्य
आनंद भरा रहता है कि कर्ता को दे कर्म ही फलस्वरूप लगते हैं।
(घ) सहसा फाइल से आवाज आयी 'कौन पुकार रहा है मुझे। पोस्टमैन हैं? क्या पेंशन का आर्डर आ गया? चौकते नारद ने
भोलाराम की शिनाख्त की। उन्हें स्वर्ग में ले जाने की मनुहार की। लेकिन भोलाराम की जिद, मुझे नहीं जाना। मैं तो
पैशन की दरख्वास्त में अटका हूँ। यहाँ मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्तें छोड कर नहीं जा सकता।
(ड.) 'भला आदमी, वही है, जो दूसरों की बहू-बेटी को अपनी बहू-बेटी समझे। जो दुष्ट किसी मेहरिया की ओर ताके उसे
गोली मार देनी चाहिए। यह तुमने लाख रूपए की बात कर दी भाई। बस सज्जन वही जो दूसरों की ओबरु को
अपनी आबरू समझे। जिस तरह मरद के मर जाने से औरत अनाथ हो जाती है, उसी तरह औरत के मर जाने से मरद
के हाथ-पाँव टूट जाते है। मेरा तो घर उजड़ गया महतो, कोई एक लोटा पानी देने वाला भी नहीं।
(च) लड़ाई के समय चाँद निकल आया था। ऐसा चाँद जिसके प्रकाश से संस्कृत कवियों का दिया हुआ क्षयी नाम सार्थक
होता है। और हवा ऐसी चल रही थी जैसी कि बाणभट्ट की भाषा में दतवीणे पदेशाचार्य कहलाती। वजीर सिंह कह
रहा था कि कैसे मन-मन भर फ्रांस की भूमि मेरे बूटो से चिपक रही थी जब मैं दौड़ा-दौड़ा सूबेदार के पीछे गया था।
शिल्प तत्वों के आधार पर चन्द्रगुप्त नाटक की समीक्षा कीजिए।
अथवा
'आषाढ़ का एक दिन' नाटक में नाटककार ने कालिदास के चरित्र की चारित्रिक विशिष्टता उद्दीपन किया है। समझाइए।
गोदान' किसान की दयनीय स्थिति का चित्रण है। इस कथन की समीक्षा कीजिए। 15
अथवा
'याणभट्ट की आत्मकथा' में निपुणिका के चरित्र की विशेषताए बताइए।
4. निम्नलिखित में से किन्हीं चार विषयों पर टिप्पणियों लिखिए.
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Explanation:
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सहसा फाइल से आवाज आयी 'कौन पुकार रहा है मुझे। पोस्टमैन हैं? क्या पेंशन का आर्डर आ गया? चौकते नारद ने
भोलाराम की शिनाख्त की। उन्हें स्वर्ग में ले जाने की मनुहार की। लेकिन भोलाराम की जिद, मुझे नहीं जाना। मैं तो
पैशन की दरख्वास्त में अटका हूँ। यहाँ मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्तें छोड कर नहीं जा सकता।
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