निम्नलिखित गद्यांशों में से किन्हीं तीन की सप्रसंग व्याख्या
कीजिए:
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(क) आर्य ! संसार-भर की नीति और शिक्षा का अर्थ मैंने
यही समझा है कि आत्म-सम्मान के लिए मर मिटना ही
दिव्य जीवन है।
(ख) मेरी मण्डली की स्त्रियाँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक सुखी
थीं। बहुत छुटपन से ही मैं स्त्री का सम्मान करना
जानता हूँ। साधारणतः जिन स्त्रियों को चंचल, कुलभ्रष्टा
माना जाता है, उनमें एक दैवी श
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पहली पंक्ति से कहा कि संसार की नीति और शिक्षा का अर्थ है कि आत्मसम्मान के लिए मरना ही सही है क्योंकि यह अपने जीवन के साथ अंतर्गत आती है
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