निम्नलिखित गद्यांश में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कर गद्यांश को दोबारा लिखिए-
राजा उसे देखते ही काँप उठा और लड़खड़ाती सी ज़बान में बोला हे महाराज आप कौन हैं और मेरे पास किस प्रयोजन से आए हैं उस
दैवी पुरुष ने बादल की गरज के समान गंभीर उत्तर दिया मैं सत्य हूँ मैं अंधों की आँखें खोलता हूँ मैं उनके आगे से धोखे की पट्टी
हटाता हूँ मैं मृग तृष्णा के भटके हुओं का भ्रम मिटाता हूँ और सपने के भूले हुओं को नींद से जगाता हूँ हे भोज यदि कुछ साहस
रखता है तो मेरे साथ आ और मेरे तेज़ के प्रभाव से मनुष्यों के मन मंदिरों का भेद ले पहले मैं तेरे ही मन ही जाँच करूँगा।
भोज ने कहा ठीक है पर भोज यह तो बतला कि तू ईश्वर की आँखों में क्या है क्या कपड़े से छाने हुए मैले पानी में किसी को कीड़े
मालूम पड़ते हैं पर जब दूरबीन शीशे को लगाकर देखो तो एक बूंद में हज़ारों जीव जूझते मिल जाते हैं यदि तू इस बात को जानने से
जिसे अवश्य जानना चाहिए डरता नहीं तो मेरे साथ आ मैं तेरी आँखें खोलूँगा।
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तो मेरे साथ आ और मेरे तेज़ के प्रभाव से मनुष्यों के मन मंदिरों का भेद ले पहले मैं तेरे ही मन ही जाँच करूँगा।
भोज नला कि तू ईश्वर की आँखों में क्या है क्या कपड़े से छाने हुए मैले पानी में किसी को कीड़े
मालूम पड़ते हैं पर जब दूरबीन शीशे को लगाकर देखो तो एक बूंद में हज़ारों जीव जूझते मिल जाते हैं यदि
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क्या कपड़े से छाने हुए मैले पानी में किसी को कीड़े
मालूम पड़ते हैं पर जब दूरबीन शीशे को लगाकर देखो तो एक बूंद में हज़ारों जीव जूझते मिल जाते हैं यदि तू इस बात को जानने से
जिसे अवश्य जानना चाहिए डरता नहीं तो मेरे साथ आ मैं तेरी आँखें खोलूँगा।
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