निम्नलिखित गद्यांश पर ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक-एक वाक्य में हो
। मनुष्य के चिंतन के दो रूप होते हैं- सकारात्मक और नकारात्मक। 'मन के जीते जीत है, मन के हारे हार' - इस कथन में मन और जीत अर्थात् विजय का सीधा संबंध मन से है। मन की जीत का अर्थ है विश्व को जीतना अर्थात् मनुष्य जो चाहे वह प्राप्त कर सकता है, सीधा बन सकता है। सकारात्मक चिंतन मानव का पथ सदैव विजय की ओर बढ़ता है। ध्रुव की कहानी सकारात्मक चितन का उदाहरण है। । समुद्र तट पर बैठा हुआ कायर व्यक्ति डूबने के भय से समुद्र के आँचल में छिपे मोतियों को निकालने का साहस नहीं कर पाता। डूबने का भय उसकी नकारात्मक सोच का परिणाम है। सृष्टि का यह अटल नियम है कि सफलता के साथ असफलता भी मिलती है, लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि सदैव असफलता ही मिलेगी। असफलता तब मिलती है। जब व्यक्ति को सोच नकारात्मक रूप ले लेती है। पानी से आधे भरे किसी गिलास को दो रूपों में कहा जा सकता है- आधा भरा और आधा खाली। आधा भरा सकारात्मक रूप को उभारता है जबकि आधा खाली नकारात्मक रूप को। मन को हार से अलग करने का साधन है- वीर तथा संकल्प शक्ति, शक्ति से संपन्न व्यक्ति के चरित्र को पढ़ना, आत्ममंथन करना तथा सकारात्मक सोच।
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1) मनुष्य के चिंतन के कितने रूप होते है?
2)मन की जीत का अर्थ क्या है?
3)ध्रुव की कहानी किस चिंतन का उदाहरण है?
4) डूबने का भय किस सोच का परिणाम है?
5) मन को हार से अलग करने का साधन बताइए।
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