निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हो। 04 गुण भारतीय संस्कृति के अग्रदूत गुरूदेव रवींद्रनाथ ठाकुर विश्व की उन महान् विभूतियों में गिने जाते हैं। जिन्होने साहित्य राजनीति कला और धर्म के क्षेत्रों में नई दिशा का सूत्रपात किया। रवींद्रनाथ भारत के उन मनीषियों की परंपरा में आते हैं जिसमें वाल्मीकि व्यास कालीदास आदि महाकवियों ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपने समग्र रूप में चित्रित किया। रवींद्रनाथ बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। बौद्धक प्रतिभा के साथ-ही-साथ आध्यात्मिक विचारों की एक गहरी धारा उनके भीतर प्रकाशित हो रही थी। उन्हें यह क्रमशः किस प्रकार मिला यह निस्संदेह आश्चर्यपूर्ण है। उन्होंने स्वयं लिखा है- `सूर्य देवता सामने के वृक्षों से झौंक रहे थे। में उनका स्वागत करने अपने तिमंजिले मकान के छज्जे पर दौड़ गया। वृक्षों पर सूर्य की किरणें पड़ रही थी। इस समय एकाएक मुझे दिव्य प्रकाश मिल गया। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु इस समय एउक ही प्रतीत होती थी-सारा विश्व एक दिखाई देता था। सब चेतना जगत यह सारा जीवन प्रकाश और प्रेम से परिपूर्ण दिखाई देने लगा। इस अपूर्व दृश्य का वर्णन मानवी शक्ति के परे है। `
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