निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक
वाक्य में हों।
'विद्या विनयेन शोभते' ज्ञान सौजन्य के कारण ही शोभा पाता है। अगर हम सिर्फ ज्ञानी बनें और नम्रता का अभाव हममें है तो हमारा पूरा ज्ञान व्यर्थ है दैनिक जीवन में सौजन्य आवश्यक होता है। सौजन्य हमारा स्वभाव होना चाहिए। व्यक्ति को आचरण से शिष्टाचार व्यक्त होता है। अतः यह आचरण स्वाभाविक होना चाहिए। सौजन्य विकसित व्यक्तित्व का एक प्रमुख अंग है धन और अधिकार के कारण कई लोगों का व्यवहार सौजन्यहीन होता है। नम्रता मानव का श्रेष्ठ गुण है। विनय के बिना ज्ञान काम का नहीं होता। हमें विद्यार्थियों को सिर्फ ज्ञानी नहीं बनाना है। उन्हें आदर्श सौज्यन्यशील भारतीय नागरिक बनाना है। अतः सौजन्यशीलता मूल्य का संस्कार करना आवश्यक है।
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