निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हो : मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है| वह चाहे तो आकाश के तारे को तोड़ ले,वह चाहे तो पृथ्वी के वक्षस्थल को तोड़कर पाताल लोक में प्रवेश कर जाए, वह चाहे तो प्रकृति को ख़ाक बनाकर उड़ा दे| उसका भविष्य उसकी मुट्ठी में है| प्रयत्न के द्वारा वह क्या नहीं कर सकता? यह समस्त बातें हम अतीत काल से सुनते चले आ रहे हैं और इन्हीं बातों को सोचकर कर्म करते है परंतु अचानक ही मन में यह विचार आ जाता है कि क्या हम जो करते हैं वह हमारे वश की बात नहीं है?
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1))मनुष्य के भाग्य का निर्माता कौन है?
2))मनुष्य चाहे तो आकाश से क्या तोड़ सकता है?
3))इन्हीं बातों को सोचकर हम क्या करते है?
4))अचानक मन में क्या विचार आता है?
This is your answer.
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