निम्नलिखित गदयांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए | (1x5=5) समय निरंतार गतिमान है, इसे रोकना असंभाव है | राजा को या रंक, संत हो या सामान्य प्राणी, अमीर हो या गरीब सभी को समय अपने आगोश में समेट लेता है | समय की कीमत न पहेचानने वाले समय बित जाने पर सिर धुनते रह जाते हैं | इसलिए हमें समय का मूल्य समझना चाहिए | साथ ही समयानुसार काम करना चाहिए | जीवन की यही कुंजी है | यूनान के दार्शनिक अरस्तू ने कहा है: “प्रत्येक व्यक्ति को उचित समय पर, उचित व्यक्ति से, उचित मात्रा में, उचित उद्देश के लिए, उचित ढंग से व्यवहार करना चाहिए |” वास्तव में एक-एक क्षण से प्रत्येक प्राणी का संबंध रहता है, परंतु प्रत्येक व्यक्ति उसका महत्व समझता नहीं है | अधिकतर व्यक्ति सोचते हैं की कोई इच्छा समय आएगा तो काम करेंगे | इस दुविधा व उधेड्बुन में वे जीवन के अनेक अमूल्य क्षणों को खो देते हैं | वी दिनों, महीनों, वर्षों को किसी शुभ क्षण की प्रतीक्षा में बीता देते हैं किन्तु ऐसा क्षण किसी की जीवन में कभी नहीं आया | कभी किसी व्यक्ति को बिना हांथ-पाँव हिलाए संसार की बहुत बड़ी संपत्ति छप्पर फाड़कर नहीं मिलती | समय उनही के रथ के घोडून को हाँकता है जो भाग्य के भरोसे बैठना पुरुषार्थ का अपमान समझते हैं | वास्तव में मनुष्य जिस समय को चाहे शुभ क्षण बना सकता है | आवश्यकता श्रम और समय के परक की है | जो व्यक्ति समय और श्रम का पारखी होता है लक्षमी भी उसी का वरन करती है | जीवन में असफलता का कारण दुर्भाग्य नहीं होता अपितु समय को गलत समझने की भूल होती है | (11) हमे सत्य की कीमत समझनी चाहिए क्योकि - (i) यह निरंतर गतिमान है (ii) इसे रोका नहीं जा सकता (iii) यह जीवन की कुंजी है (iv) ये सभी (12) ‘सिर धुनना’ इस मुहावरे का अर्थ- (i) प्रयास करना (ii) स्वयं को दंड देना (iii) दोष देना (iv) पछतावा करना (13) अरस्तू कहाँ का दार्शनिक था ? (i) फ्रांस (ii) अफ्रीका (iii) मिस्र (iv) यूनान (14) समय के बारे में अधिकांश लोग क्या सोचते हैं ? (i) नियत समय पर काम करने की (ii) किसी भी समय काम करने की (iii) सुझावीत समय पर काम करने की (iv) अच्छा समय आने पर काम करने की (15) समय उनही लोगों के रथ के घोड़ों को हाँकता है - (i) जो श्रम के भरोसे बैठना पुरुषार्थ का अपमान समझते हैं | (ii) जो कर्म के भरोसे बैठना भाग्य का अपमान समझते हैं | (iii) जो भाग्य के भरोसे बैठना पुरुषार्थ का सम्मान समझते हैं | (iv) जो भाग्य के भरोसे बैठना पुरुषार्थ का अपमान समझते हैं | अथवा मनुष्य को चाहिए कि संतुलित रहकर अति के मार्गों का त्यागकर मध्यम मार्ग
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it can be possible if u can so make it as possible as soon
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