निम्नलिखित गदयांशों का सार लगभग एक-तिहाई शब्दों में लिखते हुए उचित शीर्षक दीजिए-
(6) जीवन को हम मनचाही दिशा में ले जा सकते हैं। हम जैसा लक्ष्य निर्धारित करेंगे जीवन उसी दिशा की और बढ़ेगा। जिस विद्यार्थी ने नब्बे प्रतिशत अंक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वह उसी की प्राप्ति के लिए परिश्रम करता है। जिसने केवल उत्तीर्ण हो जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वह लगभग चालीस प्रतिशत अंक ही प्राप्त करता है। महान व्यक्तियों के लक्ष्य महान होते हैं, इसीलिए वै महान बनते हैं। नीच व्यक्ति नीचता भरे सपने देखता है, वह नीच ही बनता है। अतः सदा उच्च लक्ष्य ही निर्धारित करने चाहिए।
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कुसंगति और जीवन”
कुसंगति एवं उसका प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत गंभीर होता| कुसंगति के बारे हमारे जीवन की दिशा बदल जाती है और हम अपने पथ से विचलित हो जाते हैं| रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है, वह न केबल मान मर्यादा का विनाश करता है बल्कि सात्विक चित्तवृत्ति को भी नष्ट कर देता है। इसीलिये हमें हमेशा अपनी संगत सही रखनी चाहिए क्योंकि हमारी सही अथवा गलत संगत ही हमारे जीवन को सही दिशा प्रदान करती है|
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