निम्नलिखित हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश | 1)करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा। 2)भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर।
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निम्नलिखित हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश इस प्रकार है:
1)करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा।
इस पंक्ति से हमें यह संदेश मिलता है कि जीवन हमें अच्छे कर्म और अच्छे काम करते रहने चाहिए हमें फल की चिन्ता नहीं करनी चाहिए| हमें काम के पीछे स्वार्थ को नहीं देखना चाहिए अर्थात बिना स्वार्थ के काम करना चाहिए| हमें अच्छे काम का फल एक दिन अवश्य मिलता है| यदि हम फल की चिन्ता करेंगे तो जीवन का आनंद नहीं ले पाएँगे | बस अच्छे कर्म करते चलो फक अपने आप मिल जाएगा |
2)भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर।
इस पंक्ति से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य नहीं उसकी आँखे और उसका चेहरा बोलता है| जब मनुष्य खुश होता उसकी आखों और चेहरे से पता चल जाता है| जब मनुष्य निराश होता है तब उसके चेहरे में उदासी और आँखे नम दिखाई देती है| मनुष्य को सामने वाले मनुष्य की आँखे और चेहरे से उसकी भावनाओं को पढना आना चाहिए |
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