निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए- 1. इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जब और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था। बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने? आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से ना रही हो। ध्ययन new edition amswer
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एक सच्चा इंसान बनने के लिए असली ज्ञान और विकास ज्यादा जरूरी होता है। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार नहीं कर पाता था। उत्तर: इस वाक्य में बड़ी ही चरम सीमा के उदाहरण का प्रयोग किया है
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