निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
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उत्तर :
जब लेखिका बछेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची तो वह बहुत रोमांचित हो थी वह प्रथम भारतीय महिला थी जो यहां पहुंची थी इस पल की खुशी को अपने आराध्य और माता पिता के आशीर्वाद उनका फल मानते हुए उसने झुके हुए ही अपने थैली से दुर्गा मां का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर लाल कपड़े में लपेट और उनकी सहज भाव से पूजा करने के बाद उन्हें बर्फ़ में दबा दिया । अपनी सफलता के इन क्षणों में उसे अपने माता पिता की याद भी आ गई ,जिनके आशीर्वाद से वह इस सफलता तक पहुंची थी।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
जब लेखिका बछेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची तो वह बहुत रोमांचित हो थी वह प्रथम भारतीय महिला थी जो यहां पहुंची थी इस पल की खुशी को अपने आराध्य और माता पिता के आशीर्वाद उनका फल मानते हुए उसने झुके हुए ही अपने थैली से दुर्गा मां का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर लाल कपड़े में लपेट और उनकी सहज भाव से पूजा करने के बाद उन्हें बर्फ़ में दबा दिया । अपनी सफलता के इन क्षणों में उसे अपने माता पिता की याद भी आ गई ,जिनके आशीर्वाद से वह इस सफलता तक पहुंची थी।
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एवरेस्ट पर विजय के बारे में सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह एक रोमांचकारी और अभूतपूर्व अनुभव होता होगा; ऐसा अनुभव जिसको दोहराना नामुमकिन है। ऐसे में पर्वतारोही के लिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना बहुत मुश्किल होता होगा। वह अलग-अलग तरीके से अपनी खुशी जाहिर करता होगा। लेखिका ने अपने आराध्य की पूजा करके और अपने माता पिता को याद करके उस विजय का जश्न मनाया।
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