निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
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उत्तर :
‘फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुंह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है’ इस पंक्ति का आशय नियम प्रकार से है :
इस पंक्ति के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि शिशु धूल- मिट्टी से सना हुआ ही अच्छा लगता है ।धूल के बिना किसी भी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रकार धूल से सने शिशु को ‘धूलि भरे हीरे’ कहा गया है। लेखक के अनुसार जैसे फूल के ऊपर पड़े हुए धूल के कण उसकी शोभा को बढ़ा देते हैं, वैसे ही शिशु के मुंह पर पड़ी हुई धूल उसके रूप को और भी खूबसूरत बना देती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
‘फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुंह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है’ इस पंक्ति का आशय नियम प्रकार से है :
इस पंक्ति के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि शिशु धूल- मिट्टी से सना हुआ ही अच्छा लगता है ।धूल के बिना किसी भी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रकार धूल से सने शिशु को ‘धूलि भरे हीरे’ कहा गया है। लेखक के अनुसार जैसे फूल के ऊपर पड़े हुए धूल के कण उसकी शोभा को बढ़ा देते हैं, वैसे ही शिशु के मुंह पर पड़ी हुई धूल उसके रूप को और भी खूबसूरत बना देती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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इस कथन का आशय यह है कि फूल के ऊपर अगर थोड़ी सी धूल आ जाती है तो ऐसा लगता है मानों फूल सज गया है। उसी तरह जब बच्चे अथवा शिशु के मुख पर धूल लगती है तो एक सहज सौंदर्य लाती है। ऐसा सौंदर्य जो कृत्रिम सौंदर्य सामग्री को बेकार कर देता है। अत: धूल कोई व्यर्थ की वस्तु नहीं है।
Explanation:
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