निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
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उत्तर :
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
इस पंक्ति से लेखक का आशय उस व्यक्ति की सोच को व्यक्त करता है जो पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन खरबूजे बेचने आई बुढ़िया के संबंध में यह वाक्य कहता है। उस व्यक्ति के विचार में इन निम्न वर्ग के लोगों को किसी के मरने का दुख नहीं होता। यह किसी भी संबंध को नहीं मानते इन के लिए पुत्र पुत्री ,पति पत्नी तथा धर्म ईमान का कोई मूल्य नहीं होता। यह लोग केवल रोटी के महत्व को ही जानते हैं उसी के लिए जीते हैं। इनका सबकुछ रोटी का टुकड़ा ही है ।इसलिए यह बुढ़िया बेटे के मरने के 1 दिन बाद ही खरबूजे बेचने आ गई है
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
इस पंक्ति से लेखक का आशय उस व्यक्ति की सोच को व्यक्त करता है जो पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन खरबूजे बेचने आई बुढ़िया के संबंध में यह वाक्य कहता है। उस व्यक्ति के विचार में इन निम्न वर्ग के लोगों को किसी के मरने का दुख नहीं होता। यह किसी भी संबंध को नहीं मानते इन के लिए पुत्र पुत्री ,पति पत्नी तथा धर्म ईमान का कोई मूल्य नहीं होता। यह लोग केवल रोटी के महत्व को ही जानते हैं उसी के लिए जीते हैं। इनका सबकुछ रोटी का टुकड़ा ही है ।इसलिए यह बुढ़िया बेटे के मरने के 1 दिन बाद ही खरबूजे बेचने आ गई है
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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Answer:
समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति को नियमों, कानूनों व परंपराओं का पालन करना पड़ता है। दैनिक आवश्यकताओं से अधिक महत्व जीवन मूल्यों को दिया जाता है।यह वाक्य गरीबों पर एक बड़ा व्यंग्य है। गरीबों को अपनी भूख के लिए पैसा कमाने रोज़ ही जाना पड़ता है चाहे घर में मृत्यु ही क्यों न हो गई हो। परन्तु कहने वाले उनसे सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है, रिश्ते-नाते इनके लिए कुछ भी नहीं है।
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