निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
'धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की' − लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
Answers
Answered by
41
उत्तर :
लेखक कहना चाहता है कि धूल भरे बच्चे को गोद में उठाते हुए व्यक्तियों को सौभाग्यशाली अवश्य माना जाता है परंतु साथ ही ‘धूल भरे बच्चे को उठाने से मैले हुए’ कहने से यह स्पष्ट होता है कि कवि ने धूल को गंदगी जैसा माना है ।इस पंक्ति में ‘ऐसे लरिकान’ से यह अर्थ निकलता है कि यह बच्चे निम्न वर्ग के हैं अर्थात गरीब है इसलिए धूल से लिपटे है। इस प्रकार व्यक्ति चमक दमक देखता है, गुण नहीं ।उसे हीरे पसंद है, धूलि भरे हीरे नहीं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
लेखक कहना चाहता है कि धूल भरे बच्चे को गोद में उठाते हुए व्यक्तियों को सौभाग्यशाली अवश्य माना जाता है परंतु साथ ही ‘धूल भरे बच्चे को उठाने से मैले हुए’ कहने से यह स्पष्ट होता है कि कवि ने धूल को गंदगी जैसा माना है ।इस पंक्ति में ‘ऐसे लरिकान’ से यह अर्थ निकलता है कि यह बच्चे निम्न वर्ग के हैं अर्थात गरीब है इसलिए धूल से लिपटे है। इस प्रकार व्यक्ति चमक दमक देखता है, गुण नहीं ।उसे हीरे पसंद है, धूलि भरे हीरे नहीं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answered by
4
Answer:
यहाँ लेखक बता रहे हैं की वह नर धन्यवाद के पात्र हैं जो धूरि भरे शिशुओं को गोद में उठाकर गले से लगा लेते हैं । बच्चों के साथ उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। लेखक को 'मैले' शब्द में हीनता का बोध होता है क्योंकि वह धूल को मैल नहीं मानते।
Please mark me as branliest answer
Similar questions