निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
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उत्तर :
इस पंक्ति का आशय निम्न प्रकार से हैं-
लेखक का मानना है कि आम लोगों को धर्म के संबंध में कुछ भी पता नहीं होता वह बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं। उन्हें कुछ स्वार्थी लोग दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ इतना अधिक उकसाते हैं कि वह उनके प्रति गुस्से से भर उठते है। वह गुस्से में अपने समझने बुझने की सारी शक्ति खो बैठते है और स्वार्थी लोग उसे जिस और हांकते देते हैं वह उधर ही चल पड़ते है।
आशा है कि यह उत्तर अवश्य आपकी मदद करेगा।।।
इस पंक्ति का आशय निम्न प्रकार से हैं-
लेखक का मानना है कि आम लोगों को धर्म के संबंध में कुछ भी पता नहीं होता वह बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं। उन्हें कुछ स्वार्थी लोग दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ इतना अधिक उकसाते हैं कि वह उनके प्रति गुस्से से भर उठते है। वह गुस्से में अपने समझने बुझने की सारी शक्ति खो बैठते है और स्वार्थी लोग उसे जिस और हांकते देते हैं वह उधर ही चल पड़ते है।
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nikitasingh79:
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Explanation:
उक्त कथन का आशय है कि साधारण आदमी में सोचने विचारने की अधिक शक्ति नहीं होती वह अपने धर्म संप्रदाय की प्रति अंध श्रद्धा रखता है उसे धर्म के नाम पर जिस काम के लिए कहा जाता है वह उसी काम को करने लगता है उसमें अच्छा बुरा सोचने विचारने की शक्ति नहीं होती
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