निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
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उत्तर :
रामन् कोलकाता के सरकारी वित्त विभाग में अच्छी तनख्वाह और सुख सुविधाओं वाली नौकरी करते थे। कोलकाता विश्वविद्यालय में उन्हीं दिनों प्रोफेसर की जरूरत थी। सुप्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी रामन् की प्रतिभा तथा वैज्ञानिक रुचि से परिचित थे।उन्होंने रामन् को विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद स्वीकार करने के लिए कहा। सुख सुविधाओं और अच्छे वेतन की सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और सुविधाओं वाली विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार करना रामन् के लिए हिम्मत का काम था । उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार कर ली क्योंकि वे मानते थे कि सरस्वती की साधना करना सरकारी सुख सुविधाओं योग में से कहीं अधिक उत्तम है। इस प्रकार वे अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य में लग गए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
रामन् कोलकाता के सरकारी वित्त विभाग में अच्छी तनख्वाह और सुख सुविधाओं वाली नौकरी करते थे। कोलकाता विश्वविद्यालय में उन्हीं दिनों प्रोफेसर की जरूरत थी। सुप्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी रामन् की प्रतिभा तथा वैज्ञानिक रुचि से परिचित थे।उन्होंने रामन् को विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद स्वीकार करने के लिए कहा। सुख सुविधाओं और अच्छे वेतन की सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और सुविधाओं वाली विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार करना रामन् के लिए हिम्मत का काम था । उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार कर ली क्योंकि वे मानते थे कि सरस्वती की साधना करना सरकारी सुख सुविधाओं योग में से कहीं अधिक उत्तम है। इस प्रकार वे अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य में लग गए।
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सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् सच्चे सरस्वती साधक थे। वे जिज्ञासु वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। उनके लिए वैज्ञानिक खोजों का महत्त्व सरकारी सुख-सुविधाओं से अधिक था। इसलिए उन्होंने वित्त विभाग की ऊँची नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय की कम सुविधा वाली नौकरी स्वीकार कर ली।
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