Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

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Answered by nikitasingh79
24
उत्तर :
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा लेखक ने यह संबोधन भारत के किसानों और मजदूरों के लिए किया है। लेखक ने इन्हें ‘धूल भरे हीरे कहा’ है । आधुनिक समाज इनकी उपेक्षा करता है और कांच जैसी क्षणभंगुर चीजों के पीछे दौड़ रहा है। इन किसान- मजदूरों की उपेक्षा करना तथा इन्हें नीच समझना उचित नहीं है, क्योंकि इनमें दृढ़ता तथा कठिन परिश्रम करने की ताकत होती है। जब यह अपनी शक्ति पहचान कर आधुनिक समाज पर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देंगे तो आधुनिकतावादियों के पास कांच और हीरे में भेद करने का मौका नहीं होगा।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
Answered by shelza74
5

Answer:

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plzz mark it as brainliest...

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