निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
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उत्तर :
इस पंक्ति का आशय निम्न प्रकार से हैं-
इन पंक्तियों में लेखक उन धर्माचार्यों पर कटाक्ष कर रहा है जो आम आदमी को अपने आडंबरपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों से इतना आकर्षित कर लेते हैं कि वे इस ही ईश्वर का दूत समझने लगते हैं। वह अपने सोचने विचारने की सारी शक्ति खो बैठते हैं ।तब ये धर्माचार्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए इन लोगों को ईश्वर धर्म, आत्मा, ईमान आदि का नाम लेकर अन्य धर्मों के मानने वाले लोगों के खिलाफ उकसाते हैं और दंगा फसाद करा देते हैं।
आशा है कि यह उत्तर अवश्य आपकी मदद करेगा।।
इस पंक्ति का आशय निम्न प्रकार से हैं-
इन पंक्तियों में लेखक उन धर्माचार्यों पर कटाक्ष कर रहा है जो आम आदमी को अपने आडंबरपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों से इतना आकर्षित कर लेते हैं कि वे इस ही ईश्वर का दूत समझने लगते हैं। वह अपने सोचने विचारने की सारी शक्ति खो बैठते हैं ।तब ये धर्माचार्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए इन लोगों को ईश्वर धर्म, आत्मा, ईमान आदि का नाम लेकर अन्य धर्मों के मानने वाले लोगों के खिलाफ उकसाते हैं और दंगा फसाद करा देते हैं।
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लेखक ने धर्म के नाम पर बहकाए जाने को बुद्धि की मार बताया है। धर्म के नाम पर पहले तो लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है। उसके बाद चालाक लोग ऐसे लोगों के दिमाग में से ईश्वर और आत्मा को हटाकर अपना स्थान बना लेते हैं। फिर अपना उल्लू सीधा करने के लिए ये धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाते हैं।
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