निम्नलिखित के आधार पर साधन लागत पर निवल (शुद्ध) मूल्य वृद्धि पता कीजिये।
(1) कच्चा माल का क्रय = 30 लाख
(2) मूल्य रास = 12 लाख
(3) विक्री = 200 लाख
(4) उत्पादन कर = 20 लाख
(5) आरंभिक स्टॉक = 15 लाख
(6) मध्यव्रती उपभोग = 48 लाख
(7) अंतिम स्टॉक = 10 लाख
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ख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय आय के अस्थायी अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी किए हैं। इनकी जानकारी विवरण 1 से 4 में दी गई है।
वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का त्रैमासिक अनुमान, स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर पिछले वर्ष इसी तिमाही की तुलना में जीडीपी के व्यय घटकों के साथ जारी किए गए हैं। इन्हें 5 से 8 तक के विवरणों में प्रस्तुत किया गया है। इससे पहले 2019-20 के लिए तिमाही1, तिमाही2 और तिमाही3 की वृद्धि दर सहित अनुमान राष्ट्रीय खातों की संशोधन नीति के अनुसार संशोधित किए गए हैं।
मार्च, 2020 से वैश्विक कोविड-19 महामारी और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन उपायों के मद्देनजर; आर्थिक संस्थाओं से आंकड़ों का प्रवाह प्रभावित हुआ है। चूंकि इनमें से कुछ इकाइयों को अभी काम फिर से शुरू करना है और क्योंकि सरकार ने आवश्यक वित्तीय रिटर्न जमा करने की वैधानिक समय-सीमा बढ़ा दी है, ये अनुमान उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित हैं। नतीजतन, अनुमान (त्रैमासिक और साथ ही वार्षिक) में संशोधन की संभावना है।
4. वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय आय का दूसरा अग्रिम अनुमान (एसएई) 28 फरवरी, 2020 को जारी किया गया था। इन अनुमानों को अब संशोधित किया गया है जिसमें कृषि उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के नवीनतम अनुमान शामिल किए गए हैं और प्रमुख क्षेत्रों जैसे रेलवे, परिवहन, रेलवे के अलावा संचार, बैंकिंग, बीमा और सरकारी राजस्व व्यय के प्रदर्शन को शामिल किया गया है। 1 जुलाई 2017 से माल और सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत और उसके बाद कर संरचना में बदलाव के साथ, जीडीपी संकलन के लिए उपयोग किए जाने वाले कुल कर राजस्व में गैर-जीएसटी राजस्व और जीएसटी राजस्व को शामिल किया गया हैं। स्थिर मूल्यों पर उत्पादों पर कर प्राप्त करने के लिए, कर लगी वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा में वृद्धि का उपयोग करके पिछले अनुभव के आधार पर आंकड़ों का अनुमान लगाया जाता है और करों की कुल मात्रा प्राप्त करने के लिए कुल योग किया जाता है। अप्रैल-दिसंबर 2019 के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर के प्रदर्शन पर प्रारंभिक परिणाम जो एसएई में उपयोग किए गए थे, उन्हें नवीनतम उपलब्ध जानकारी के आधार पर संशोधित किया गया है। जमा और ऋण, रेलवे की यात्री और माल से आमदनी, हवाई अड्डे पर यात्रियों की संख्या और जितने माल का प्रबंधन किया गया, प्रमुख समुद्री बंदरगाहों पर जितने माल का प्रबंधन किया गया, कमर्शियल वाहनों की बिक्री आदि जैसे संकेतकों की जानकारी के अलावा, एसएई में इस्तेमाल वित्त वर्ष के पहले 9/10 महीनों के लिए उपलब्ध जानकारी में संशोधन किया गया है जिसमें मार्च, 2020 तक के अद्यतन आंकड़ों हैं।
वित्त वर्ष 2019-20 में स्थिर मूल्यों (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 147.79 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी का अनंतिम अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि 31 जनवरी 2020 को जारी वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी का पहला संशोधित अनुमान 139.81 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी।
वर्ष 2019-20 में वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी के 203.40 लाख करोड़ रुपये का स्तर प्राप्त करने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2018-19 में पहले संशोधित अनुमानों में यह 189.71 लाख करोड़ रुपये था जो 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है जबकि 2018-19 में यह 11.0 प्रतिशत थी।
वर्ष 2019-20 के दौरान वास्तविक रूप से प्रति व्यक्ति आय (2011-12 की कीमतों पर) के वर्ष 2018-19 में 92,085 रुपये के मुकाबले 94,954 के स्तर को प्राप्त करने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप 2019-20 के दौरान 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले वर्ष यह 4.8 प्रतिशत थी। 2019-20 के दौरान मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय 134,226 रुपये होने का अनुमान है, जो 2018-19 के दौरान 1,26,521 थी जो 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
8. 2019-20 की चौथी तिमाही में स्थिर मूलयों पर जीडीपी (2011-12) के 38.04 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि 2018-19 की चौथी तिमाही में यह 36.90 लाख करोड़ था जो 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
9. अनुमान में प्रयुक्त मुख्य संकेतकों में परिवर्तन नीचे दिए गए हैं:
Answer:
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या सकल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है,[2] यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है।[3] GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं। पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है। दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर के योग के बराबर है। तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है- अर्थात कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पर कर औरसब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष (या लाभ)[4][5]
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के मापन और मात्र निर्धारण का सबसे आम तरीका है खर्च या व्यय विधि (expenditure method):
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग + सकल निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात - आयात), या,
GDP = C + I + G + (X − M).
"सकल" का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद में से पूंजी शेयर के मूल्यह्रास को घटाया नहीं गया है। यदि शुद्ध निवेश (जो सकल निवेश माइनस मूल्यह्रास है) को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र प्राप्त होता है।
इस समीकरण में उपभोग और निवेश अंतिम माल और सेवाओ पर किये जाने वाले व्यय हैं।
समीकरण का निर्यात - आयात वाला भाग (जो अक्सर शुद्ध निर्यात कहलाता है), घरेलू रूप से उत्पन्न नहीं होने वाले व्यय के भाग को घटाकर (आयात) और इसे फिर से घरेलू क्षेत्र में जोड़ कर (निर्यात) समायोजित करता है।
अर्थशास्त्री (कीनेज के बाद से) सामान्य उपभोग के पद को दो भागों में बाँटना पसंद करते हैं; निजी उपभोग और सार्वजनिक क्षेत्र का (या सरकारी) खर्च.
सैद्धांतिक मैक्रोइकॉनॉमिक्स में कुल उपभोग को इस प्रकार से विभाजित करने के दो फायदे हैं:
निजी उपभोग कल्याणकारी अर्थशास्त्र का एक केन्द्रीय मुद्दा है। निजी निवेश और अर्थव्यवस्था का व्यापार वाला भाग अंततः (मुख्यधारा आर्थिक मॉडल में) दीर्घकालीन निजी उपभोग में वृद्धि को निर्देशित करते हैं।
यदि अंतर्जात निजी उपभोग से अलग कर दिया जाए तो सरकारी उपभोग को बहिर्जात माना जा सकता है,[तथ्य वांछित] जिससे सरकारी व्यय के विभिन्न स्तर एक अर्थपूर्ण व्यापक आर्थिक ढांचे के भीतर माने जा सकते हैं।
Answer is in attachment this is only a note that how it comes and process of explanation.
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