Biology, asked by maahira17, 9 months ago

निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में चर्चा करें
(क) ग्रीनहाउस गैसे
(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक (कैटालिटिक कनवर्टर)
(ग) पराबैंगनी-बी (अल्ट्रावायलेट वी)

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Answered by rahulsingh91
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Greenhouse gas lead to global warming skin disease while ultraviolet rays is generating from chlorofluorocarbon the main source of chlorofluorocarbon is refrigerator AC in our houses if the amount of chlorofluorocarbon increased divided the layer ozone depleting heavily and UB days come easily and district most of the life on the earth

Answered by nikitasingh79
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(क) ग्रीनहाउस गैसे :  

ग्रीन हाउस गैसें सूर्य से आने वाली अवरक्त किरणें पृथ्वी के धरातल से टकराकर वापस अंतरिक्ष में जाने लगती हैं। इन परावर्तित किरणों को वायुमंडल में उपस्थित कुछ कैसे पुनः धरती की तरफ धकेल देती है अर्थात यह गैसें कांच की आंतरिक सतह की भांति कार्य करती है, जिससे धरती का तापमान बढ़ जाता है ,जो कि जीवन के लिए आवश्यक है।

इन देशों को ही हरितगृह गैसें कहते हैं। इनमें CO₂, N₂O, CH₄, CO, CFC आदि प्रमुख है। यदि वातावरण में यह गैसें अनुपस्थित हों, तो पृथ्वी पर शीत युग आ जाएगा तथा जीवन लगभग असंभव हो जाएगा।

(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक (कैटालिटिक कनवर्टर) :  

इसमें कीमती धातु , प्लैटिनम - पैलेडियम और रेडियम लगे होते हैं, जो उत्प्रेरक का कार्य करते हैं । ये परिवर्तक स्वचालित वाहनों में लगे होते हैं, जो विषैली गैसों के उत्सर्जन को कम करने में सहायक है।

जैसे ही धुआं उत्प्रेरक परिवर्तक से होकर गुजरता है , अदृग्ध हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड और जल में बदल जाता है , जबकि कार्बन मोनोऑक्साइड तथा नाइट्रिक ऑक्साइड क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन गैस में बदल जाता है । उत्प्रेरक परिवर्तक युक्त मोटर वाहनों में सीसा रहित पेट्रोल का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि सीसा उत्प्रेरक को अक्रिय करने का कार्य करता है।

(ग) पराबैंगनी-बी (अल्ट्रावायलेट वी) :  

यह सर्वाधिक हानिकारक पराबैंगनी विकिरण है।

पराबैंगनी विकिरणों से उत्परिवर्तन के कारण त्वचा में तेजी से वृद्धि होती है, जिससे विकृतियां जलन,  त्वचा कैंसर आदि उत्पन्न हो जाते हैं। पराबैंगनी विकिरणों के कारण नेत्रों में मोतियाबिंद उत्पन्न हो जाता है । पराबैंगनी किरणें आंखों  के लिए अत्यंत हानिकारक होती है , इनके द्वारा अंधापन तक भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त जीर्णता, गंजापन, बालों का कम उम्र में सफेद होना, आनुवंशिक विकार , प्रोटीन विकृति करण पराबैंगनी किरणों के सामान्य दुष्प्रभाव है।  पराबैंगनी किरणों की मात्रा के बढ़ने से विश्व के अधिकांश फसलें प्रभावित होती हैं जिससे उनकी उत्पादकता, प्रकाश संश्लेषण तथा पुष्पीकरण में कमी आ जाती है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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