निम्नलिखित काण्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हरि है राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिले ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहै, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यों अनीति करें आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम ती यह 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।।
(क) प्रस्तुत पद किस भाषा में रचा गया है?
(ख) 'मधुकर' कहकर किसे संबोधित किया गया है?
(ग) अनुप्रास अलंकार छाँटकर लिखिए।
(य) गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
(ङ) 'हरि हैं राजनीति पढ़ि आए'-गोपियां ऐसा क्यों कहती हैं।
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निम्नलिखित काण्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हरि है राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिले ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहै, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यों अनीति करें आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम ती यह 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।।
(क) प्रस्तुत पद किस भाषा में रचा गया है?
(ख) 'मधुकर' कहकर किसे संबोधित किया गया है?
(ग) अनुप्रास अलंकार छाँटकर लिखिए।
(य) गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
(ङ) 'हरि हैं राजनीति पढ़ि आए'-गोपियां ऐसा क्यों कहती हैं।
निम्नलिखित काण्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हरि है राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिले ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहै, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यों अनीति करें आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम ती यह 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।।
(क) प्रस्तुत पद किस भाषा में रचा गया है?
(ख) 'मधुकर' कहकर किसे संबोधित किया गया है?
(ग) अनुप्रास अलंकार छाँटकर लिखिए।
(य) गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
(ङ) 'हरि हैं राजनीति पढ़ि आए'-गोपियां ऐसा क्यों कहती हैं।