निम्नलिखित के संभावित कारण दीजिए-
(i) साइक्लोहेक्सैनन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है। परंतु 2, 2, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
(ii) सेमीकार्बोजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परंतु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकाबेंजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से, अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
Answers
निम्नलिखित के संभावित कारण नीचे दिए गए है।
•1. साईक्लोहेक्सेनोन अच्छी उपलब्धि सायनोहाइड्रिन बनाता है
परन्तु 2,2- ट्रायमेथिल साईक्लो हेक्सेनोन ऐसा नहीं करता कारण
α स्थानों पर ते मेथिल समूह उपस्थित होते हैं और इस कारण CN आयनों का नभिक्सनेही आक्रमण नहीं होता।
•साईक्लोहेक्सेन में यह स्टरिक अवरोध ही पस्थित होता है। इसलिए CN आयन का नभिकसनेही आक्रमण शीघ्रता से होता है
तथा सायनोहाइड्रिंन अच्छी मात्रा में प्राप्त होता है।
•2.सेमिकाबेंजाइड में दो NH₂ समूह होते है इनमे से केवल एक ही अनुनाद में भाग लेता है जिस कारण इस। NH₂ समूह पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है।इसलिए यह नाभिक्सनेही नहीं है।परन्तु दूसरे NH₂ समूह पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन अनुनाद में भाग नहीं लेता तथा एल्डिहाइड तथा कीटोन के
C=O आक्रमण के लिए उपलब्ध होता है।
•3. कार्बोाक्सीलिक अम्ल तथा अल्कोहल से अम्ल की उपस्थिती में एस्टरों के निर्माण की प्रक्रिया उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है।
सामावस्या को आगे की दिशा मेविस्थापित करने के लिए जल या एस्टर का निर्माण होते ही निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।